Jabalpur News: वित्तीय संकट के कारण स्मार्ट सिटी की तीसरी आंख बंद

दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। जबलपुर शहर में स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत करोड़ों रुपए की लागत से लगाए गए 4K गुणवत्ता वाले सीसीटीवी कैमरे बीते एक महीने से बंद पड़े हैं। ये कैमरे शहर के प्रमुख चौराहों और सड़कों पर निगरानी रखने के लिए लगाए गए थे। इनका उद्देश्य शहर की यातायात व्यवस्था को सुव्यवस्थित करना और अपराध पर नियंत्रण रखना था, लेकिन वित्तीय संकट के चलते अब ये कैमरे बंद हो चुके हैं।

16 करोड़ की लागत से लगाए गए है कैमरे

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत शहर में लगभग 100 4K कैमरे प्रमुख चौराहों और सड़कों पर लगाए गए है। यह परियोजना शहर को आधुनिक बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा था। इस प्रोजेक्ट के तहत 16 करोड़ रुपए की लागत से ये कैमरे लगाए गए। इसके साथ ही इन कैमरों की निगरानी के लिए चंडाल भाटा में लाखों रुपए की लागत से एक नियंत्रण कक्ष (कंट्रोल रूम) भी बनाया गया, जहां पर कैमरों की निगरानी के लिए 13 कर्मचारियों की टीम तैनात थी। इस कंट्रोल रूम के माध्यम से पूरे शहर की निगरानी की जा रही थी।

ठेका कंपनी ने घाटे के कारण काम किया बंद

इस परियोजना का ठेका टेक्नोसिस प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी को दिया गया था, लेकिन कंपनी ने वित्तीय घाटे के चलते परियोजना से हाथ खींच लिया। कंपनी के अनुसार, उन्हें इस परियोजना से उतनी आय नहीं हो रही थी जितनी उन्होंने अपेक्षा की थी, जिसके कारण वे इसे घाटे में चला रहे थे। अंततः कंपनी ने आगे का कार्य करने से इनकार कर दिया। इस निर्णय के बाद से शहर की यातायात और सुरक्षा व्यवस्था पर गहरा असर पड़ा है।

यातायात और अपराध नियंत्रण में थी बड़ी भूमिका

सीसीटीवी कैमरों ने जबलपुर में यातायात व्यवस्था को सुचारू रूप से बनाए रखने और अपराधियों को पकड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। शहर के प्रमुख चौराहों और बाजारों में लगे ये कैमरे प्रशासन को निरंतर निगरानी रखने में सहायता कर रहे थे। कैमरों की मदद से कई अपराधों का पर्दाफाश किया गया, साथ ही यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों पर भी नजर रखी जा रही थी।

वित्तीय सहायता के लिए केंद्र और राज्य सरकार को लिखे पत्र

स्मार्ट सिटी परियोजना के प्रभारी कमलेश श्रीवास्तव और सीसीटीवी कंट्रोल रूम प्रभारी बालेंद्र शुक्ला ने स्पष्ट किया कि वित्तीय संकट के चलते कैमरे बंद हैं। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार से वित्तीय सहायता के लिए पत्र भी लिखा है। हालांकि, इस संदर्भ में जब महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नु से संपर्क करने की कोशिश की गई, तो उनका फोन रिसीव नहीं हुआ।

इस मामले ने शहर की सुरक्षा और यातायात व्यवस्था को प्रभावित किया है और अब यह देखना होगा कि केंद्र और राज्य सरकारें इस स्थिति में कितनी जल्दी मदद करती हैं।

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