दैनिक सांध्य बन्धु रांची। झारखंड में विधानसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने दैनिक भास्कर से बातचीत में अपने राजनीतिक फैसलों, परिवारवाद के आरोपों और भाजपा के भविष्य को लेकर बेबाकी से अपनी राय रखी। अर्जुन मुंडा ने स्पष्ट किया कि उन्होंने चुनाव में भाग नहीं लिया, क्योंकि इससे यह संदेश जाता कि वे मुख्यमंत्री पद की दौड़ में हैं। उन्होंने अपनी पत्नी मीरा मुंडा को पोटका से चुनावी मैदान में उतारने के सवालों पर भी जवाब दिया।
मुंडा ने पत्नी को टिकट दिलाने के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि मीरा मुंडा को पार्टी ने जनता की सेवा के लिए टिकट दिया है, यह परिवारवाद का उदाहरण नहीं है। उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि "राजा का बेटा राजा बनेगा" का सिद्धांत भाजपा में नहीं, बल्कि कांग्रेस में चलता है।
मुंडा ने कहा कि वे विधानसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे, क्योंकि इससे यह संकेत जाता कि वे CM पद के दावेदार हैं। उन्होंने पार्टी को पहले ही सूचित कर दिया था कि वे खुद चुनाव नहीं लड़ेंगे, इसके बाद पार्टी ने उनकी पत्नी को पोटका से उम्मीदवार बनाया।
अर्जुन मुंडा ने हेमंत सरकार को निशाने पर लेते हुए आरोप लगाया कि सरकार जल, जंगल, जमीन के मुद्दों पर सत्ता में आई थी, लेकिन इन मुद्दों से भटककर भ्रष्टाचार और कोषागार के दुरुपयोग पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने कहा कि भाजपा की सत्ता में वापसी निश्चित है, क्योंकि जनता सरकार के भ्रष्टाचार से परेशान है।
उन्होंने कहा कि भाजपा में सभी नेता समान विचारधारा से जुड़ते हैं, इसलिए झामुमो नेताओं के भाजपा में शामिल होने को भाजपा के झामुमोकरण के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
पूर्वी सिंहभूम में सक्रियता कम होने के सवाल पर अर्जुन मुंडा ने कहा कि आदिवासी बहुल क्षेत्रों में स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के प्रयास किए गए हैं। उन्होंने राज्य सरकार से आदिवासियों को वन पट्टा देने पर भी जोर दिया, परंतु हेमंत सरकार ने इस पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया।
अर्जुन मुंडा ने कहा कि भाजपा में मुख्यमंत्री का चेहरा चुनाव परिणाम के बाद विधायक दल का नेता चुनने पर तय होता है। उनका मानना है कि पार्टी विचारों और नीतियों पर आधारित निर्णय लेती है, इसलिए मुख्यमंत्री का चयन भी इसी प्रक्रिया का हिस्सा है।