दैनिक सांध्य बन्धु कानपुर। कानपुर की सीसामऊ सीट से समाजवादी पार्टी (सपा) की उम्मीदवार नसीम सोलंकी के वनखंडेश्वर मंदिर में पूजा करने पर विवाद खड़ा हो गया है। उनके खिलाफ मौलाना द्वारा फतवा जारी किया गया, जबकि मंदिर के पुजारी ने शुद्धिकरण भी कराया। नसीम सोलंकी ने दैनिक भास्कर से बातचीत में कहा कि वे हर समुदाय की इज्जत करती हैं और फिर बुलाए जाने पर मंदिर जरूर जाएंगी।
नसीम ने बताया कि दीपावली के अवसर पर वे कार्यकर्ताओं के कहने पर मंदिर गईं और दीया जलाकर शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा, “मैंने वहां जो करने को कहा गया, वह किया। मेरी आस्था भले न हो, लेकिन जो लोग मेरे साथ थे, उनकी आस्था का सम्मान किया।” उन्होंने फतवा जारी करने को गलत बताते हुए कहा कि किसी को ठेस पहुंचाने का उनका इरादा नहीं था।
विरोधी पार्टियों ने नसीम के मंदिर जाने को चुनावी स्टंट करार दिया है। नसीम ने इसका खंडन करते हुए कहा कि सीसामऊ एक परिवार की तरह है और एक धर्म के वोट से जीत संभव नहीं होती। उन्होंने कहा, “यह मेरे जहन में एक पर्सेंट भी नहीं था। सभी धर्मों के समर्थन से ही चुनाव जीते जाते हैं।”
नसीम ने यह भी बताया कि उनके ससुर हाजी मुश्ताक सोलंकी और पति इरफान सोलंकी ने क्षेत्र के मंदिरों और चर्चों का जीर्णोद्धार कराया है। उन्होंने कहा कि जीतने पर वे भी यही काम करेंगी। इरफान सोलंकी के जेल में होने के बावजूद उन्होंने उनसे मिली प्रेरणा को आगे बढ़ाने का संकल्प जताया।
भाजपा नेताओं के बयानों पर नसीम ने कहा कि वे सकारात्मक राजनीति में विश्वास रखती हैं। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के बयान का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि वे अपनी बातों से राजनीति को सही दिशा में ले जा रही हैं और सभी समुदायों के साथ न्याय करेंगी।
वनखंडेश्वर मंदिर, जहां नसीम ने पूजा की, उनके पति इरफान सोलंकी की चुनावी जीत का आधार रहा है। 2022 के चुनाव में, इरफान ने भाजपा के सलिल विश्नोई को 12,266 वोटों से हराया था, खासकर मंदिर क्षेत्र से उन्हें बढ़त मिली थी। इस बार नसीम सोलंकी उसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए जनता का समर्थन जुटाने की कोशिश कर रही हैं।