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File Photo |
54 किलो सोना और 11 करोड़ कैश मिला
19 दिसंबर को लोकायुक्त ने सौरभ के ठिकानों पर छापेमारी की थी। भोपाल के मेंडोरी इलाके के जंगल में एक कार से 54 किलो सोना और 11 करोड़ रुपए कैश बरामद हुए थे। कार उसके सहयोगी चेतन सिंह गौर की थी। कार में मिला सोना और कैश सौरभ से जोड़ा जा रहा है।
करोड़ों की संपत्ति और महंगे निवेशों का खुलासा
सूत्रों के अनुसार, सौरभ ने करोड़ों की संपत्ति अर्जित की है। उसने अपनी पत्नी के भाई शुभम तिवारी, दोस्त चेतन सिंह गौर और बहनोई रोहित तिवारी के नाम पर बड़े निवेश किए हैं। वह भोपाल के अरेरा कॉलोनी में 7 करोड़ रुपए के बंगले में रहता है, जिसे उसने 2015 में सवा दो करोड़ में खरीदा था।
सौरभ का सफर: आरक्षक से बिल्डर तक
ग्वालियर के साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले सौरभ शर्मा की नियुक्ति 2016 में अनुकंपा आधार पर हुई थी। ग्वालियर में पोस्टिंग के दौरान उसने आलीशान जीवनशैली अपनाई, जिससे उस पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने लगे। 2019 में उसने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) ले ली और प्रॉपर्टी कारोबार में उतर गया।
ईडी की मनी लॉन्ड्रिंग जांच
23 दिसंबर को ईडी ने सौरभ और चेतन गौर के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया। अब तक की जांच में सामने आया है कि सौरभ ने अपने साले और अन्य करीबी रिश्तेदारों के नाम पर संपत्ति अर्जित की है।
वकील ने कार्रवाई को बताया गलत
सौरभ के वकील राकेश पाराशर ने लोकायुक्त और ईडी की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि सौरभ लोक सेवक नहीं है, इसलिए इस तरह की कार्रवाई अनुचित है।
अदालत ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज की
भोपाल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने सौरभ की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। न्यायालय ने उसे लोक सेवक मानते हुए अपराध की गंभीरता के आधार पर जमानत देने से इनकार कर दिया।
ईडी की टीम अब सौरभ के निवेशों और सोने-कैश की वैधता की जांच कर रही है। मामले में नए खुलासे होने की संभावना है।