Jabalpur News: हाईकोर्ट ने सुनाया जिला न्यायालय की सेवा में बहाली का आदेश

दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। हाईकोर्ट के प्रशासनिक न्यायाधीश संजीव सचदेवा व न्यायमूर्ति विनय सराफ की युगलपीठ ने जिला न्यायालय, कटनी में नियुक्ति के बाद संशोधित आदेश के जरिए  नौकरी छीनने के रवैये को अनुचित पाया। इसी के साथ याचिकाकर्ता का वापस नौकरी पर लिए जाने का राहतकारी आदेश पारित कर दिया। 

कटनी निवासी कृष्ण कुमार यादव की ओर से पक्ष रखा गया। दलील दी गई कि वर्ष 2016 में जिला न्यायालय, कटनी में तीन भृत्य सहित अन्य पदों के लिए विज्ञापन निकाला गया था। भृत्य के तीन पदों में से एक महिला वर्ग के लिए आरक्षित था। याचिकाकर्ता ने भी भृत्य पद के लिए आवेदन किया था। मैरिट लिस्ट में उसका तीसरा स्थान था। 17 मार्च, 2017 को नियुक्ति आदेश जारी कर दिया गया। जिसके बाद से वह नौकरी में लग गया। लेकिन इसी बीच दीपशिखा केसरवानी नामक महिला आवेदन ने नियुक्ति पर आपत्ति दर्ज करा दी। 

उसका कहना था कि चयनित सूची में शशि कुमारी मैरिट लिस्ट में प्रथम स्थान पर थी। उसने ओबीसी वर्ग के तहत आवेदन प्रस्तुत किया था। मेरिट लिस्ट में दूसरे स्थान पर अमित कुमार मिश्रा थे और तीसरे स्थान पर कृष्ण कुमार यादव थे। शशि कुमारी का चयन योग्यता के आधार पर हुआ है और एक पद महिला के लिए आरक्षित था। इसलिए उस पद पर उसे नौकरी मिलनी चाहिए थी। इस आपत्ति के आधार पर याचिकाकर्ता कृष्ण कुमार यादव की नियुक्ति निरस्त करने का आदेश जारी कर दिया गया। हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि तीन पदों में महिला के लिए एक पद आरक्षित था।

अनावेदक शशि कुमारी विश्वकर्मा को नियुक्ति के साथ महिला के लिए आरक्षित पद की पूर्ति हो गई थी। इसलिए याचिकाकर्ता की नियुक्ति निरस्त करने का संशोधित आदेश गलत था। हाई कोर्ट ने नो-वर्क नो-पे के आधार पर याचिकाकर्ता को नियुक्ति प्रदान करने के आदेश जारी कर दिए। आदेश में यह भी साफ किया कि कटनी जिला न्यायालय में कई पद रिक्त है, जिसमें दीपशिखा को समायोजित किया जाए।

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