दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। शहर में युवा वर्ग के बीच भाई बनने का बढ़ता क्रेज उन्हें अपराध की अंधेरी दुनिया की ओर धकेल रहा है। चाकूबाजी, चैन स्नैचिंग और मोबाइल लूटपाट जैसी घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं, और इनमें ज्यादातर 20 से 25 वर्ष के युवा शामिल हैं। ये युवा सोशल मीडिया और फिल्मों से प्रभावित होकर अपने भविष्य को खतरे में डाल रहे हैं।
लारेंस विश्नोई और साउथ फिल्मों का प्रभाव
युवाओं पर लारेंस विश्नोई जैसे कुख्यात अपराधियों और साउथ की मसाला फिल्मों का गहरा असर देखा जा रहा है। सोशल मीडिया पर लारेंस विश्नोई और उसकी गैंग की रील्स और कहानियां युवाओं को अपराध के लिए प्रेरित कर रही हैं। फिल्मों में दिखाए गए हिंसा और बदले की कहानियां इनके दिमाग पर गहरी छाप छोड़ रही हैं। हाल ही में राइट टाउन की एक घटना में युवाओं ने चाकूबाजी कर पुलिस को चुनौती दी। सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल कर अपराधियों ने पुलिस को खुलेआम कहा, पकड़ सकते हो तो पकड़ लो। इससे यह साफ हो गया कि युवा अब कानून और व्यवस्था को चुनौती देने से भी नहीं हिचक रहे।
शहर के गैंगस्टरों की रहती हैं इन नवयुवकों पर नजर
शहर के कई बड़े गैंगस्टर इस स्थिति का फायदा उठा रहे हैं। इन गैंगस्टरों ने युवाओं की एक फौज खड़ी कर ली है, और वारदातों को अंजाम देने उन्हें हथियार भी मुहैया कराते हैं जो उनकी आज्ञा पर अपराधों को अंजाम देते हैं। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि कई गैंगस्टर जेल में बैठकर अपराधों की साजिश रच रहे हैं और उन्हें अंजाम दिलवा रहे हैं।
सोशल मीडिया बना अपराधियों का मंच
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो इन युवाओं के मानसिकता पर बुरा प्रभाव डाल रहे हैं। इन वीडियो में कभी युवाओं को गोलियां चलाते, तो कभी खुद को गैंगस्टर की तरह पेश करते देखा जा सकता है। इनके लिए सोशल मीडिया सिर्फ एक मंच नहीं, बल्कि अपनी भाईगिरी दिखाने का जरिया बन चुका है।
शराब दुकान में फायरिंग करने वाला बदमाश गिरफ्तार
शराब दुकान में फायरिंग करने वाले कुख्यात बदमाश रुपेन्द्र साहू को पुलिस ने दिल्ली के जनकपुरी इलाके से गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस जांच में पता चला कि रुपेन्द्र 20-25 साल के युवाओं को अपनी गैंग में शामिल कर उनसे वारदातों को अंजाम दिलवाता था। उसके खिलाफ 28 आपराधिक मामले दर्ज हैं। अब पुलिस उसकी गैंग में शामिल युवओं की जांच में जुट गई है।
जेल में हो रहे गैंगवार
पिछले कुछ दिनों से सेंट्रल जेल में भी गैंगवार की घटनाएं सामने आईं है इन घटनाओं को भी 20 से 25 साल के नवयुवक ने ही अंजाम दिया है, इस प्रकार की घटनाएं जेल प्रशासन के लिए भी चिंता का विषय बनतीं जा रहा है। जेल प्रशासन को इन युवाओं की काउंसलिंग करवा कर उन्हें अपराध जगत के दुष्परिणाम के बारे में बताना चाहिए और उन्हें अपराध के रास्ते को छोड़ने की समझाइश देना चाहिए।
लारेंस विश्नोई और साउथ फिल्मों का प्रभाव
युवाओं पर लारेंस विश्नोई जैसे कुख्यात अपराधियों और साउथ की मसाला फिल्मों का गहरा असर देखा जा रहा है। सोशल मीडिया पर लारेंस विश्नोई और उसकी गैंग की रील्स और कहानियां युवाओं को अपराध के लिए प्रेरित कर रही हैं। फिल्मों में दिखाए गए हिंसा और बदले की कहानियां इनके दिमाग पर गहरी छाप छोड़ रही हैं। हाल ही में राइट टाउन की एक घटना में युवाओं ने चाकूबाजी कर पुलिस को चुनौती दी। सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल कर अपराधियों ने पुलिस को खुलेआम कहा, पकड़ सकते हो तो पकड़ लो। इससे यह साफ हो गया कि युवा अब कानून और व्यवस्था को चुनौती देने से भी नहीं हिचक रहे।
पुलिस और समाज के लिए चुनौती
युवाओं का अपराध की ओर बढ़ता रुझान पुलिस और समाज के लिए एक गंभीर चुनौती बन गया है। पुलिस को इन गैंगस्टरों और अपराध में लिप्त युवाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी होगी। वहीं, समाज को भी यह समझने की जरूरत है कि युवाओं को सही दिशा में कैसे प्रेरित किया जाए।
समाधान की ओर कदम उठाना जरूरी
समाज और प्रशासन को मिलकर इन युवाओं को अपराध से बचाने के लिए प्रयास करने चाहिए। स्कूलों और कॉलेजों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर उन्हें यह समझाने की जरूरत है कि इस भाईगिरी का अंत केवल अपराध और बर्बादी है। साथ ही, सोशल मीडिया पर अपराध को महिमामंडित करने वाले कंटेंट पर सख्त निगरानी रखी जानी चाहिए।