दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। शिवचंदन डहले, बालाघाट जिले के भरवेली गांव का एक मेहनतकश मजदूर, 1996 में अपनी पत्नी और दो बेटियों के साथ साधारण जीवन बिता रहा था। 8 मई 1996 को पड़ोसी के घर शादी समारोह में बारातियों और गांव वालों के बीच हुए विवाद ने हिंसक रूप ले लिया। इस झगड़े में दो लोगों की हत्या हुई और पुलिस ने शिवचंदन समेत छह अन्य को आरोपी बनाया। 1999 में बालाघाट जिला कोर्ट ने सभी आरोपियों को धारा 302 और 148 के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
सुप्रीम कोर्ट से अन्य आरोपी रिहा
आरोपियों ने अपनी सजा के खिलाफ हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अपील की। 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने सबूतों की कमी के चलते अन्य आरोपियों को रिहा कर दिया। लेकिन शिवचंदन, जिसने 2013 में अपनी याचिका विड्रो कर ली थी, जेल में ही रहा गया।
कुख्यात बदमाश शैलेश नाई की हत्या में फंसा शिवचंदन
1996 के हत्याकांड की सजा काटते समय बालाघाट जेल में 2008 में एक और हत्या हुई। कुख्यात बदमाश शैलेश नाई की हत्या के मामले में शिवचंदन समेत 13 लोगों को आरोपी बनाया गया। हालांकि, जांच में यह साबित हुआ कि हत्या के वक्त शिवचंदन दूसरी बैरक में था। इस मामले में 2016 में उसे जमानत तो मिल गई, लेकिन मुकदमा लंबित रहने के कारण उसकी रिहाई की प्रक्रिया फिर अटक गई।
2012 में जेल नीति बदली, शिवचंदन की रिहाई पर लगा ग्रहण
शिवचंदन के अच्छे व्यवहार के चलते जेल विभाग ने उसकी रिहाई की सिफारिश की थी। 2012 से पहले यह संभव था, लेकिन नई जेल नीति के अनुसार डबल मर्डर और जेल के अंदर अपराधों में लिप्त कैदियों को माफी का लाभ नहीं दिया जा सकता।
15 जनवरी को हाईकोर्ट से है उम्मीद
वकील बृजेश रजक ने शिवचंदन के मामले को गंभीरता से उठाया है। अब 15 जनवरी को होने वाली सुनवाई में न्याय मिलने की उम्मीद है।