Jabalpur news: जबलपुर में 1000 करोड़ रुपए से बन रहे फ्लाईओवर में आई दरार जांच कमेटी गठित

जबलपुर के पीडब्ल्यूडी प्रभारी चीफ इंजीनियर का रीवा तबादला  

दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। शहर में बन रहे प्रदेश के सबसे बड़े फ्लाईओवर के निर्माण कार्यों में गुणवत्ताविहीन कामों की शिकायतें सामने आने के बाद जबलपुर परिक्षेत्र के प्रभारी चीफ इंजीनियर एससी वर्मा को हटा दिया गया है इसके साथ ही प्रमुख अभियंता भोपाल द्वारा निमार्ण कार्यों की जांच के लिए एक 4 सदस्यीय कमेटी गठित कर दी गई है| इस घटनाक्रम के बाद प्रदेश की सियासत गरमा गई और जबलपुर में हड़कंप की स्थिति है। क्योंकि जबलपुर लोक निर्माण मंत्री का गृह जिला है। बताया गया है कि जबलपुर में निर्माणाधीन प्रारंभ होने के पहले ही फ्लाईओवर की सड़के दरकने लगी है।

इस आशय की शिकायत के बाद प्रमुख अभियंता भोपाल ने कार्यों की गुणवत्ता की जांच के लिए कमेटी गठित कर दी गई है। इस कमेटी में जीपी वर्मा अधीक्षण यंत्री, जीके झा सेतुमंडल ग्वालियर, कुलदीप सिंह के अलावा भवन प्रयोगशाला अनुसंधान भोपाल के अजय कुलकर्णी को सदस्य के रुप में शामिल किया गया हैं। जांच कमेटी से 15 दिन के अंदर रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है इस बीच मप्र शासन लोक निर्माण के उपसचिव नियाज अहमद खान के द्वारा जारी आदेश के तहत जबलपुर में पदस्थ अधीक्षण यंत्री एससी वर्मा प्रभारी मुख्य अभियंता लोक निर्माण परिक्षेत्र जबलपुर को इसी पद और इसी प्रभार पर रीवा स्थानांतरित करा दिया गया है। तबादले का आधार प्रशासनिक बताया गया है। उनके स्थान पर पीडब्यलूडी सागर परीक्षेत्र आरएल वर्मा को जबलपुर को प्रभार सौंपा गया है।

शिकायत में कहा गया है कि फ्लाईओव्हर निर्माण कार्य की शुरुआत के समय से ही सड़क चटकने लगी है, जो निर्माण में गड़बड़ी का इशारा करती है। वहीं अधिकारी पर मनमानी, लापरवाही के भी आरोप लग रहे थे. मामले को संज्ञान में लेते हुए राज्य सरकार ने जांच के लिए एक विशेष कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी राज्य स्तर पर गंभीरता से जांच करेगी और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश करेगी।

क्यों बदली गई जिम्मेदारी.... 

यह भी आरोप लग रहा है कि पीडब्ल्यूडी में ब्रिज डिपार्टमेंट अलग से है, जो फ्लाईओवर निर्माण के लिए जिम्मेदार होता है। फिर भी, इस काम को बिल्डिंग एंड रोड डिपार्टमेंट को सौंपा गया है, जिसका नेतृत्व एक चीफ इंजीनियर कर रहे हैं। सवाल उठता है कि जब ब्रिज डिपार्टमेंट इस तरह के निर्माण कार्य में प्रशिक्षित है, तो यह जिम्मेदारी क्यों बदली गई।

जांच कमेटी की रिपोर्ट 15 दिन में आएगी...

मामला गंभीर होते ही भोपाल स्तर पर एक जांच कमेटी बनाई गई है, जो 15 दिन के भीतर राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। अब सभी की नजर इस बात पर है कि जांच कमेटी की सिफारिशों के बाद सरकार किस तरह से कार्रवाई करती है। 

टलता जा रहा निर्माण कार्य...

यह फ्लाईओवर मदन महल से लेकर महानदा तक एक लाइन जाएगा, जबकि दूसरी लाइन दमोह नाका तक जाएगी। इस परियोजना का कुल अनुमानित खर्च 800 करोड़ रुपये है। चार साल पहले शुरू हुए इस निर्माण में अब तक केवल महानदा लाइन का निर्माण पूरा हो पाया है, जबकि दमोह नाका तक का काम अभी भी अधूरा है।

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