दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने नर्मदा बचाओ आंदोलन की जनहित याचिका पर समय पर जवाब न देने के कारण राज्य सरकार पर 30 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की युगलपीठ ने सरकार के लचर रवैये को लेकर नाराजगी जताई और स्पष्ट किया कि यदि सरकार दो सप्ताह के भीतर यह राशि जमा नहीं करती, तो उसका जवाब स्वीकार नहीं किया जाएगा।
नर्मदा बचाओ आंदोलन ने भूमि अधिग्रहण मुआवजे में उचित गुणांक लागू करने की मांग को लेकर जनहित याचिका दायर की थी। 2013 के नए भू-अर्जन कानून के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में अधिग्रहीत जमीन के मुआवजे को एक से दो के बीच गुणांक से गुणा किया जाना चाहिए। लेकिन मध्य प्रदेश सरकार ने सभी ग्रामीण क्षेत्रों के लिए यह गुणांक केवल "एक" निर्धारित कर दिया, जिससे किसानों और ग्रामीणों को कम मुआवजा मिल रहा है।
याचिका में बताया गया कि महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़, बिहार और उत्तराखंड जैसे राज्यों में यह गुणांक दो निर्धारित किया गया है, जिससे वहां के ग्रामीणों को दोगुना मुआवजा मिल रहा है। इसके विपरीत, मध्य प्रदेश सरकार ने इस नियम का पालन नहीं किया, जिससे किसानों को काफी नुकसान हो रहा है।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता श्रेयस पंडित ने दलील दी कि राज्य सरकार जानबूझकर जवाब नहीं दे रही ताकि किसानों को कम मुआवजा देना पड़े। इस पर हाई कोर्ट ने सरकार को अंतिम अवसर देते हुए कहा कि यदि दो सप्ताह में 15,000 रुपये नर्मदा बचाओ आंदोलन और 15,000 रुपये हाई कोर्ट विधिक सेवा समिति को नहीं दिए गए तो सरकार का जवाब स्वीकार नहीं किया जाएगा। अब इस जनहित याचिका पर 17 फरवरी को अंतिम सुनवाई होगी।