दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम-2007 के तहत दामाद को भी ससुर का मकान खाली करने का आदेश दिया जा सकता है। यह फैसला भोपाल निवासी 78 वर्षीय वृद्ध नारायण वर्मा के मामले की सुनवाई के दौरान दिया गया।
बेटी के निधन के बाद दामाद ने किया दूसरा विवाह
वृद्ध नारायण वर्मा ने अपनी बेटी ज्योति और दामाद दिलीप मरमठ को अपने भोपाल स्थित मकान में रहने की अनुमति दी थी। इसके बदले दामाद ने उनका देखभाल करने का वादा किया था। लेकिन विवाह के 22 साल बाद बेटी ज्योति का निधन हो गया और दामाद ने दूसरी शादी कर ली। इसके बाद उसने वृद्ध ससुर की देखभाल से इंकार कर दिया और उन्हें आर्थिक सहायता भी देना बंद कर दिया।
वरिष्ठ नागरिक अधिनियम के तहत मिला न्याय
वृद्ध नारायण वर्मा ने माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण अधिनियम के तहत आवेदन दायर किया, जिस पर अधिकारी ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया और दामाद को मकान खाली करने का आदेश दिया। इस आदेश के खिलाफ दामाद ने कलेक्टर के समक्ष अपील की, लेकिन उसे भी खारिज कर दिया गया।
हाई कोर्ट ने दामाद की अपील की खारिज
इसके बाद दामाद ने हाई कोर्ट की एकलपीठ में अपील दायर की, लेकिन वह भी निरस्त कर दी गई। फिर उसने हाई कोर्ट की युगलपीठ के समक्ष अपील दायर की, जिसमें मकान खाली करने के आदेश को निरस्त करने की मांग की।
हाई कोर्ट ने दिया स्पष्ट आदेश
मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की युगलपीठ ने कहा कि वरिष्ठ नागरिक अधिनियम-2007 के तहत दामाद को ससुर के मकान से निष्कासित करने का मामला पूरी तरह सुनवाई योग्य है। चूंकि दामाद ने समझौते के लिए कोई आवेदन नहीं दिया, इसलिए मकान से बेदखली की कार्रवाई को निरस्त नहीं किया जा सकता।
इस फैसले से अन्य वरिष्ठ नागरिकों को भी मिलेगी राहत
अधिवक्ता नरिंदर पाल सिंह रूपराह के अनुसार, हाई कोर्ट के इस फैसले से अन्य बुजुर्गों को भी राहत मिलने का रास्ता साफ हो गया है, जो इसी तरह की समस्याओं का सामना कर रहे हैं। हालांकि, उन्हें कानूनी प्रक्रिया के तहत न्यायालय की शरण लेनी होगी।