दैनिक सांध्य बन्धु भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार महिला सशक्तिकरण के लिए बड़े पैमाने पर फंड खर्च कर रही है, लेकिन यह खर्च राज्य की आर्थिक स्थिति पर भारी पड़ रहा है। लाड़ली बहना योजना में अब तक 30,765 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं, जो राज्य के कुल बजट का 11% है।
महिला केंद्रित योजनाओं पर बढ़ता खर्च
लाड़ली बहना योजना: 30,765 करोड़ रुपये (20 महीने में)
जननी सुरक्षा योजना: 79 करोड़ रुपये (6 लाख लाभार्थी)
गैस सिलेंडर सब्सिडी: 715 करोड़ रुपये (26 लाख महिलाओं को)
महिला उद्यमिता प्रोत्साहन: 275 करोड़ रुपये (850 MSME इकाइयों को)
सेनिटेशन एवं हाइजीन: 57 करोड़ रुपये (19 लाख स्कूली बालिकाओं को)
आहार अनुदान योजना: 325 करोड़ रुपये (जनवरी-दिसंबर 2024)
लाड़ली लक्ष्मी योजना: 1,231 करोड़ रुपये (2024-25 के लिए आवंटित)
महिला श्रमिकों को मिलेगा प्रोत्साहन
सरकार अब रेडीमेड गारमेंट इंडस्ट्री में महिला श्रमिकों को 5,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि देने की योजना बना रही है, ताकि महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकें।
'देवी अहिल्या नारी सशक्तिकरण मिशन' की घोषणा
राज्य सरकार ने महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, आर्थिक स्वावलंबन और सुरक्षा को मजबूत करने के लिए देवी अहिल्या नारी सशक्तिकरण मिशन शुरू करने का फैसला किया है। इसके तहत महिलाओं की शिक्षा, रोजगार और सुरक्षा से जुड़े कई लक्ष्य तय किए गए हैं।
राज्य की अर्थव्यवस्था पर बढ़ता कर्ज का बोझ
महिला कल्याण योजनाओं और कर्मचारियों के महंगाई भत्ते को पूरा करने के लिए सरकार बड़े पैमाने पर कर्ज ले रही है।
2022-23: 26,849 करोड़ रुपये का कर्ज
2023-24: 26,264 करोड़ रुपये का कर्ज
2024-25: 45,000 करोड़ रुपये का कर्ज
2024 की शुरुआत में ही राज्य सरकार ने 5,000 करोड़ रुपये का नया कर्ज लिया, जिससे वित्तीय स्थिति और दबाव में आ गई है।
अब सवाल यह उठता है कि क्या सरकार इन योजनाओं को दीर्घकालिक रूप से चला पाएगी, या फिर बढ़ता कर्ज राज्य की अर्थव्यवस्था पर भारी पड़ेगा?