दैनिक सांध्य बन्धु नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बसपा प्रमुख और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के खिलाफ दाखिल 15 साल पुराने मामले को खारिज कर उन्हें बड़ी राहत दी है। मामला 2009 में सार्वजनिक धन का उपयोग कर उनकी और पार्टी के चुनाव चिह्न हाथियों की मूर्तियां बनवाने से संबंधित था।
2009 में सुप्रीम कोर्ट के वकील रविकांत ने जनहित याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि मायावती ने लखनऊ और नोएडा के पार्कों में 52.20 करोड़ रुपये की लागत से हाथियों और अपनी मूर्तियां बनवाकर सरकारी धन का दुरुपयोग किया। याचिका में मांग की गई थी कि बसपा से यह धन वसूला जाए और पार्टी का चुनाव चिह्न जब्त किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को पुराना बताते हुए इसे बंद करने का फैसला सुनाया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता की मांग को खारिज करते हुए कहा कि यह मामला अब प्रासंगिक नहीं है।
मायावती ने अपने बचाव में दावा किया था कि मूर्तियों का निर्माण वास्तुशिल्प डिजाइन का हिस्सा था और इनका उनकी पार्टी के चुनाव चिह्न से कोई संबंध नहीं था। उन्होंने यह भी कहा कि इन स्मारकों का निर्माण उचित बजट आवंटन के तहत हुआ था और यह लोगों की प्रेरणा के लिए बनाए गए थे।
69वें जन्मदिन के मौके पर आया यह फैसला मायावती और उनके समर्थकों के लिए खुशी का मौका बन गया। इस फैसले के बाद बसपा प्रमुख मायावती की राजनीतिक छवि पर सकारात्मक असर पड़ने की उम्मीद है।