दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। जबलपुर में निजी स्कूलों द्वारा अभिभावकों से मनमाने तरीके से वसूली गई 200 करोड़ रुपये से अधिक की फीस को लौटाने का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग ने स्कूलों को फीस वापस करने के निर्देश दिए हैं, लेकिन अब तक किसी भी स्कूल ने फीस लौटाने की प्रक्रिया शुरू नहीं की है। इस वजह से अभिभावक पशोपेश की स्थिति में है और अपनी समस्याओं के समाधान के लिए स्कूल प्रशासन और शिक्षा विभाग के चक्कर काट रहे हैं। जिला कलेक्टर दीपक सक्सेना ने जिला स्तरीय समिति का गठन कर कार्यवाही की थी, जिसमें पूर्व में भी की गई अवैध फीस वसूली को वापस लौटने या छात्र की वर्तमान फीस में समायोजित करने का आदेश दिया गया था, और निजी स्कूलों पर आर्थिक जुर्माना भी लगाया गया था।
निजी स्कूलों को संचालित करने वाली समितियों पर शासन का हस्ताक्षेप जरूरी
सरकार और शिक्षा विभाग ने निजी स्कूलों की मनमानी रोकने और अभिभावकों को राहत देने के लिए सख्त कदम उठाने का दावा किया था। हालांकि, अभी तक कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया है। वही दूसरी ओर निजी स्कूलों द्वारा वसूली गई फीस को लेकर अभिभावकों में आक्रोश बढ़ रहा है। प्रशासन को स्कूलों पर कार्रवाई करने और आदेशों का पालन सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि जिला कलेक्टर को इन निजी स्कूलों को संचालित करने वाली समितियों को अपने आधिपत्य में लेना चाहिए जिससे निजी स्कूलों की मनमानी फीस वृद्धि पर अंकुश लग सके।
अभिभावकों की बढ़ती परेशानी
फीस वापसी के मामले में सबसे ज्यादा परेशानी अभिभावकों को झेलनी पड़ रही है। कई अभिभावकों ने फीस जमा करने से मना कर दिया है, उन्हें उम्मीद है कि कलेक्टर के आदेशों के बाद स्कूल जल्द ही उनकी रकम लौटाएंगे या उससे वर्तमान फीस के साथ समायोजित करेंगे। लेकिन इसके विपरीत, स्कूल प्रशासन अभिभावकों पर फीस जाम करने के लिए दबाव बना रहा है।
219 करोड़ की राशि वापसी के आदेश
शिक्षा विभाग ने भी कलेक्टर दीपक सक्सेना के आदेश की पुष्टि की है कि 219 करोड़ रुपये से अधिक की राशि अवैध रूप से वसूली गई है। यह राशि या तो अभिभावकों को वापस की जानी है या आगामी फीस में समायोजित की जानी चाहिए। बावजूद इसके, स्कूल संचालक आदेशों की अनदेखी कर रहे हैं। जिला समिति ने स्पष्ट किया है कि यदि फीस उसी तरीके से वसूली गई है, तो उसे उसी प्रकार वापस किया जाना चाहिए। हालांकि, स्कूल प्रशासन इस प्रक्रिया से बचने के लिए तमाम बहाने बना रहा है। सूत्रों के अनुसार शिक्षा विभाग ने इन निजी स्कूलों को चेतावनी दी है कि जो स्कूल आदेशों का पालन नहीं करेंगे, उनके खिलाफ दोगुनी पेनाल्टी लगाई जाएगी। जब इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी घनश्याम सोनी से संपर्क किया गया तो उनके द्वारा कॉल रिसीव नही किया गया।
छात्र संगठनों और अभिभावक संघों का विरोध
▶ इस पूरे मामले में छात्र संगठन और अभिभावक संघ प्रशासनिक निष्क्रियता पर नाराजगी जता रहे हैं।
बाल कांग्रेस के विधानसभा अध्यक्ष शिशांत सिंह ठाकुर ने कहा
▶ स्कूल प्रशासन ने फीस लौटाने के आदेशों को गंभीरता से नहीं लिया है। इससे अभिभावकों को राहत नहीं मिल रही है। हम इस मुद्दे को प्रशासन के समक्ष उठाएंगे।
मप्र प्रदेश पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सचिन गुप्ता ने कहा
▶ अभिभावक प्रशासन के फैसले पर भरोसा कर रहे हैं, लेकिन स्कूल जबरन दबाव बना रहे हैं। यह अस्वीकार्य है और हम विरोध दर्ज कराएंगे और यदि प्रशासनिक स्तर पर समाधान नहीं निकलता है तो हम न्यायालय की शरण में जाएंगे।