दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। विद्युत कंपिनियों द्वारा विद्युत नियामक आयोग के समक्ष विद्युत दरों में वृध्दि और स्लैब में बदलाव को लेकर प्रस्तुत की गई याचिका पर काफी विसंगतियां सामने आने लगी है, इस पर नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच द्वारा आपत्ति उठाई गई है। मंच का कहना है कि 300 यूनिट तक की खपत का स्लैब खत्म करने से समान्य आय वाले उपभोक्ताओं पर गहरी चोट पड़ेगी और उन्हें महंगी बिजली के साथ साथ फिक्स चार्ज भी देना पड़ेगा, साथ ही उपभोक्ताओं के बीच में भेदभाव भी निर्मित होगा। नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के प्रांतीय अध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपांडे द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि आमतौर पर साधारण उपभोक्ता 151 से 300 यूनिट तक की बिजली की खपत करते हैं।
बिजली कंपनियों द्वारा 300 यूनिट से अधिक स्लैब खत्म करने के प्रस्ताव से आम उपभोक्ता पर खासकर मध्यम वर्गीय आय वाले परिवारों पर भारी आर्थित बोझ पड़ेगा। और उन्हें बिजली के अधिक रेट के साथ साथ फिक्स चार्ज भी ज्यादा देना पड़ेगा। वर्तमान में 151 से 300 यूनिट तक के लिये 6.61 पैसे प्रति यूनिट वसूल किया जा रहा है। वहीं 300 यूनिट से उपर के लिये 6.80 पैसा यूनिट के रेट से बिजली मिल रही है। बिजली कंपनियों द्वारा जो नया टैरिफ आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया गया है. उसमें 300 यूनिट से अधिक का स्लैब खत्म करने के साथ ही 151 से 300 तक के लिये प्रस्तावित 7.11 पैसा यूनिट कर दिये गये हैं, जो 50 पैसा प्रतियूनिट अधिक है।
इसी तरह 300 यूनिट से उपर खप्त वालों के लिये 7.11 पैसे प्रतियूनिट प्रस्तावित किये गये हैं। जो 31 पैसे प्रति यूनिट ज्यादा है। इसके अलावा अन्य की तुलना में रेट और भी महंगे होंगे। वर्तमान में 151 से 300 यूनिट खप्त वाले ग्रामीण उपभोक्ताओं को 24 रुपये किलो वाट फिक्स चार्ज है। 300 यूनिट वालों को 26 रुपये ज्यादा है। लेकिन प्रस्तावित फिक्स चार्ज में 300 यूनिट फिक्स चार्ज वालों के लिये 2 रुपये ज्यादा की वृध्दि प्रस्तावित है।जबकी 300 यूनिट से ज्यादा खपत वालों के लिये कोई वृध्दि प्रस्तावित नहीं है।
विभिन्न संगठनों ने जताया विरोध
उपभोक्ता मंच सहित विभिन्न संगठनों ने 300 रुपये स्लैब खत्म करने के प्रस्ताव पर विरोध दर्ज कराते हुये कहा है कि इससे उपभोक्ताओं के बीच भेद भाव निर्मित होगा. इस संदर्भ में आयोजित बैठक में उपस्थित डॉ पीजी नाजपाण्डे, रजत भार्गव, टीके रागटक, टीके सिंह, सुभाष चंद्रा, सुशीला कनौजिया, राजेश गिदरौनिया, वेदप्रकाश अधौलिया, संतोषा श्रीवास्तव, जीएस सोनकर, पीएस राजपूत, माया कुशवाहा, गीता पाण्डे आदि ने इस मुद्दे पर नियामक आयोग से पुनर्विचार करने की मांग की है।