दैनिक सांध्य बन्धु प्रयागराज। महाकुंभ 2025 में मौनी अमावस्या के दिन हुई भगदड़ को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। बद्रीनाथ ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने इस घटना को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने 18 घंटे तक घटना को छिपाया और अब भी मौत के सही आंकड़े नहीं बताए जा रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से इस्तीफा देने की मांग की है।
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने दावा किया कि प्रशासन भगदड़ की भयावहता को छिपा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकारी आंकड़ों में 30 मौतें बताई जा रही हैं, लेकिन वास्तविक संख्या 49 तक पहुंच चुकी है। इनमें से 25 शवों की पहचान हो गई है, जबकि 24 लोग अब भी अज्ञात हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि घूंसी जैसी घटनाओं को सरकार ने छिपाया और पुलिस अधिकारियों के अनुसार कम से कम 6 जगहों पर भगदड़ जैसे हालात बने थे। उन्होंने सरकार की तैयारियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर 100 करोड़ लोगों की व्यवस्था थी और 40 करोड़ ही आए, तो अव्यवस्था क्यों हुई?
शंकराचार्य ने सीएम योगी आदित्यनाथ को संत मानने से इनकार करते हुए कहा कि "अगर वह संत होते तो इतनी बड़ी दुर्घटना को छिपाते नहीं, बल्कि सामने आकर स्वीकार करते।" उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ को इस्तीफा देकर किसी काबिल व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए।
शंकराचार्य ने उन संतों पर भी निशाना साधा जो कह रहे हैं कि भगदड़ में मारे गए लोग मोक्ष को प्राप्त हुए हैं। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, "अगर ऐसा है तो उन संतों को भी गंगा में धक्का देकर मोक्ष दे देना चाहिए, क्या वे इसके लिए तैयार हैं?"
शंकराचार्य ने सरकार से सीसीटीवी फुटेज सार्वजनिक करने या आम लोगों को एक्सेस देने की मांग की, ताकि सच्चाई सामने आ सके। उन्होंने कहा कि सरकार को पूरी घटना की सत्यता को नहीं छिपाना चाहिए और मरने वालों की सही संख्या सार्वजनिक करनी चाहिए।
महाकुंभ में हुई इस भगदड़ को लेकर विपक्ष और संत समाज में भी आक्रोश बढ़ रहा है। अब देखना होगा कि सरकार इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है।