Jabalpur News: टिमरी हत्याकांड के आरोपियों पर लगाई जाए जेनोसाइड (नरसंहार) की धारा : विधायक लखन घनघोरिया

दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। जबलपुर में हुए टिमरी जघन्य हत्याकांड का मामला मध्य प्रदेश विधानसभा में गरमाया। इस हत्याकांड में एक ही परिवार के चार लोगों की निर्मम हत्या कर दी गई थी, जबकि दो लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। सरकार का ध्यानाकर्षण कराते हुए कांग्रेस विधायक एवं पूर्व मंत्री लखन घनघोरिया ने इस घटना को लेकर सरकार को कटघरे में खड़ा किया और इसे नरसंहार की संज्ञा दी। उन्होंने सरकार से मांग कि इस जघन्य हत्याकांड में शामिल आरोपियों के ऊपर जेनोसाइड (नरसंहार) की धारा लगाई जाए, क्योंकि हमला एक ही समुदाय के लोगों पर हुआ है। 

पुलिस की भूमिका पर उठे सवाल 

लखन घनघोरिया ने कहा कि यदि पुलिस को शिकायत नहीं मिली थी, तो चौकी प्रभारी को निलंबित क्यों किया गया? उन्होंने आरोप लगाया कि आरोपियों को पुलिस का संरक्षण प्राप्त था और पुलिस के संरक्षण में ही आरोपियों ने पीड़ित परिवार पर हमला किया। मृतकों का परिवार अत्यंत गरीब है और उनके पास अपनी कोई जमीन भी नहीं थी। मृतक ब्राह्मण समुदाय से थे और उन्होंने एक खेत को सिकमी (पट्टे पर खेती करने) पर लिया था, जहां आरोपियों द्वारा जुए की एक फड़ चलाई जा रही थी। जब इस अवैध गतिविधि की शिकायत की गई, तो आरोपियों को इसकी जानकारी मिल गई और उन्होंने पूरे परिवार पर हमला कर दिया। 

सरकार का पक्ष 

मंत्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल ने इस मामले में सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि यह जातिगत संघर्ष नहीं, बल्कि दो समूहों के बीच का विवाद था। सभी अपराधियों पर कठोर धाराएं लगाई गई हैं, जिसमें हत्या (मृत्युदंड तक की सजा), दंगे की धाराएं (आईपीसी 191, 191(2), 191(3), 109 एवं 351(3)) शामिल हैं। सरकार ने कानून सम्मत तरीके से कार्रवाई की है। अपराधियों को मृत्युदंड तक का प्रावधान देने वाली धाराएं लगाई गई हैं। ऐसे में नरसंहार की धारा लगाने का कोई औचित्य नहीं है। 

लखन घनघोरिया ने कहा- सरकार संवेदनहीन 

मंत्री के इस जवाब पर लखन घनघोरिया ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि सरकार गोलमोल जवाब देकर जिम्मेदारी से बचने की कोशिश कर रही है। सरकार संवेदनशीलता दिखाने के बजाय घटना को सामान्य विवाद बताने की कोशिश कर रही है, जो पीड़ित परिवार के साथ अन्याय है। 

सत्ता पक्ष के विधायकों का भी मिला समर्थन 

वरिष्ठ विधायक गोपाल भार्गव, राकेश सिंह, और अभिलाष पांडे ने भी इस घटना की निंदा की और पीड़ित परिवार की स्थिति पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि चूंकि परिवार के सभी वयस्क पुरुष सदस्य मारे जा चुके हैं, इसलिए सरकार को आर्थिक सहायता के साथ-साथ पीड़ित महिलाओं को सरकारी नौकरी देने की व्यवस्था करनी चाहिए। लखन घनघोरिया ने सरकार से मांग की कि मृतकों की दो शिक्षित विधवाओं को सरकारी नौकरी दी जाए ताकि उनके छोटे बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो सके। उन्होंने कहा कि मुआवजा समाधान नहीं है, बल्कि स्थायी रोजगार ही इस परिवार का उद्धार कर सकता है।

उचित कदम उठाएगी सरकार 

संसदीय कार्य मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि विधानसभा में व्यक्त की गई सभी संवेदनशील भावनाओं को मुख्यमंत्री तक पहुंचाया जाएगा और सरकार इस पर उचित कदम उठाएगी।

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