दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर पीठ ने अपने एक आदेश में हुई टाइपोग्राफिकल त्रुटि को संज्ञान में लेते हुए आवश्यक सुधार किया। जस्टिस विशाल घगट की एकलपीठ ने आदेश में गलती के कारण याचिका को स्वीकार करने और आयुक्त शहडोल के आदेश को निरस्त करने का उल्लेख कर दिया था, जबकि वास्तविक निर्णय इसके विपरीत था।
शहडोल निवासी मोहम्मद अतीक ने अपनी जमीन से संबंधित आयुक्त शहडोल के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। 25 फरवरी 2025 को हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद याचिका को खारिज कर दिया था। लेकिन आदेश के पैरा 8 में टाइपिंग की गलती के कारण यह लिखा गया कि "याचिकाकर्ता द्वारा दायर रिट याचिका स्वीकार की जाती है और आयुक्त शहडोल द्वारा पारित आदेश को निरस्त किया जाता है।"
जब इस त्रुटि की जानकारी सामने आई, तो हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए मामले की पुनः सुनवाई की। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह केवल एक टाइपोग्राफिकल गलती थी और वास्तविक निर्णय याचिका को खारिज करने और आयुक्त शहडोल के आदेश को बरकरार रखने का था।
हाईकोर्ट ने आदेश में संशोधन करते हुए स्पष्ट किया कि पैरा 8 को इस प्रकार पढ़ा जाए: "याचिकाकर्ता द्वारा दायर रिट याचिका को खारिज किया जाता है। आयुक्त शहडोल द्वारा पारित आदेश की पुष्टि की जाती है।"
इसके साथ ही, न्यायालय ने संशोधित आदेश को हाईकोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड करने के निर्देश भी जारी किए हैं।