दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। मध्यप्रदेश पुलिस में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां ईसाई धर्म से ताल्लुक रखने वाले पुलिस अधिकारी ने आदिवासी (गोंड) जाति का फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर सरकारी नौकरी हासिल की और 25 साल तक सेवा करता रहा। यह खुलासा एसडीएम रघुवीर सिंह मरावी की जांच में हुआ है।
बुरहानपुर पुलिस लाइन में पदस्थ एसआई अमिताभ प्रताप सिंह उर्फ अमिताभ थियोफिलस वर्ष 2000 से मध्यप्रदेश पुलिस में सेवाएं दे रहा है। जांच में पता चला कि उसने 1998-99 में गोंड जनजाति का फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाया था और आरक्षण का लाभ उठाकर एसआई पद पर भर्ती हो गया।
पहले भी हो चुकी हैं शिकायतें, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई
इस मामले की पहली शिकायत 2019 में भोपाल निवासी सोनाली दात्रे द्वारा जनजातीय विभाग की तत्कालीन आयुक्त दीपाली रस्तोगी से की गई थी, लेकिन उस समय जांच आगे नहीं बढ़ी। दूसरी शिकायत 2024 में प्रमिला तिवारी ने की, जिसके बाद जबलपुर कलेक्टर दीपक कुमार सक्सेना के निर्देश पर एसडीएम ने विस्तृत जांच की।
जांच में सामने आईं कई अनियमितताएं
एसडीएम रिपोर्ट के अनुसार—
अमिताभ का दाखिला 1 जुलाई 1980 को सेंट पॉल हायर सेकेण्डरी स्कूल, नेपियर टाउन, जबलपुर में हुआ था, जिसमें धर्म "क्रिश्चियन" और जाति "एसटी गोंड" लिखवाया गया था।
वर्ष 1950 में अमिताभ या उनके पूर्वजों का जबलपुर में कोई निवास प्रमाण या जनजाति से संबंध नहीं मिला।
उनके रीति-रिवाज, संस्कृति या पारिवारिक पृष्ठभूमि का गोंड जनजाति से कोई संबंध नहीं है।
अमिताभ ने खुद को राजपूत कहकर भी परिचय दिया है, जबकि असल में वह क्रिश्चियन हैं।
गंभीर अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश
जांच रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा गया है कि अमिताभ सिंह ने असत्य जानकारी देकर जाति प्रमाण पत्र बनवाया और नौकरी हासिल की। एसडीएम ने कलेक्टर को रिपोर्ट सौंपी, जिसे अब गृह विभाग को भेजा गया है। रिपोर्ट में अमिताभ प्रताप सिंह का जाति प्रमाण पत्र निरस्त करने और उसके खिलाफ विभागीय एवं दंडात्मक कार्रवाई की सिफारिश की गई है।