दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने नर्सिंग कॉलेजों में हुए फर्जीवाड़े के मामलों पर सुनवाई करते हुए एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि नर्सिंग पाठ्यक्रमों की परीक्षाएं अब किसी भी हालत में 28 और 29 अप्रैल को ही आयोजित होंगी, इनकी तारीखों में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही हाईकोर्ट द्वारा गठित उच्च स्तरीय जांच कमेटी को भंग कर दिया गया है।
छात्रों को मिला बड़ा राहत का संदेश
कोर्ट के इस फैसले से राज्यभर में नर्सिंग की पढ़ाई कर रहे करीब 50 हजार छात्रों को राहत मिली है, जिनकी परीक्षाएं लंबे समय से टलती आ रही थीं। अब तय तारीखों पर परीक्षा आयोजन सुनिश्चित होगा, जिससे छात्रों की पढ़ाई और करियर को नई दिशा मिलेगी।
कमेटी की भूमिका खत्म, अब सीधे नर्सिंग काउंसिल करेगी काम
हाईकोर्ट ने पूर्व न्यायमूर्ति राजेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में गठित हाईलेवल कमेटी को समाप्त करते हुए कहा कि अब किसी भी कॉलेज का मामला इस कमेटी को नहीं भेजा जाएगा। अब नए शैक्षणिक सत्र में मान्यता की पूरी प्रक्रिया एमपी नर्सिंग काउंसिल द्वारा संचालित की जाएगी।
सिर्फ 200 कॉलेज ही मापदंडों पर खरे
लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की याचिका पर हुई सुनवाई में यह बात सामने आई कि प्रदेश के करीब 700 नर्सिंग कॉलेजों में से सिर्फ 200 कॉलेज ही निर्धारित मापदंडों पर खरे उतरे हैं। बाकी कॉलेजों को फर्जी निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर मान्यता मिली थी। हाईकोर्ट की निगरानी में हुई सीबीआई जांच में यह फर्जीवाड़ा उजागर हुआ।
अब परीक्षा में नहीं होगी देरी
हाईकोर्ट ने एमपी नर्सिंग काउंसिल और मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी को निर्देश दिए हैं कि किसी भी परिस्थिति में परीक्षा की तारीख न बदली जाए। वर्षों से प्रक्रियाओं और जांच के चलते परीक्षाएं स्थगित होती रही हैं, जिससे छात्रों को भारी मानसिक और शैक्षणिक नुकसान हुआ।