दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। जब संकल्प मजबूत हो और भावना इंसानियत की हो, तो कोई भी मुश्किल राह नहीं रोक सकती। जबलपुर पॉलिटेक्निक कॉलेज के कर्मचारियों ने इसका शानदार उदाहरण पेश किया है। क्लास-4 कर्मचारी मुकेश यादव, जो मानसिक रूप से अस्थिर हैं और अपना नाम-पता भी नहीं बता सकते, 22 मार्च की शाम अचानक लापता हो गए। परिजनों की स्थिति ऐसी नहीं थी कि वे खोजबीन कर पाते, और पुलिस की भी रुचि नहीं दिखी। ऐसे में कॉलेज स्टाफ ने खुद ही खोज अभियान छेड़ दिया।
टीम बनी, मिशन शुरू हुआ
ट्रेनिंग कोऑर्डिनेटर विवेक चतुर्वेदी और प्रिंटिंग विभाग के एचओडी संजय शर्मा ने इस खोजी मुहिम का नेतृत्व किया। सबसे पहले सीसीटीवी कैमरे खंगाले गए। स्टेशन के पास मुकेश एक कैमरे में दिखे, लेकिन उसके आगे कोई सुराग नहीं मिला। हार नहीं मानी गई—टीम ने एक्स स्टूडेंट्स, टीचर्स ग्रुप और स्थानीय पुलिस से भी सहयोग लिया। पोस्टर और विज्ञापन के जरिए पूरे क्षेत्र में जानकारी फैलाई गई।
कठिन परिश्रम लाया रंग
मुकेश को आखिरी बार मझौली में देखने की सूचना मिलने पर टीम वहां पहुंची, लेकिन वह फर्जी निकली। फिर एक उम्मीद की किरण इटारसी से आई—एक पूर्व छात्र सतीश ने मुकेश को पहचान लिया। फोटो से पुष्टि के बाद, इटारसी निवासी शिक्षक नीलेश मालवीय की मदद से टीम वहां पहुंची और मुकेश को सकुशल कॉलेज लेकर आई।
प्रेरणा है ये कहानी
कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आरसी पांडे और पूरी टीम की ये मेहनत बताती है कि जब अपने साथियों के लिए दिल में लगन हो, तो कोई भी दूरी बड़ी नहीं होती। 15 दिन की इस अथक मेहनत, 100 से ज्यादा सीसीटीवी फुटेज और अनगिनत प्रयासों ने आखिरकार मुकेश को वापस ला दिया।