Jabalpur News: RDVV में कुलगुरु को बचाने रची जा रही है साजिश

दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय (RDVV) में कुलगुरु प्रो. राजेश वर्मा पर महिला प्रोफेसर द्वारा लगाए गए छेड़छाड़ के आरोपों ने एक बार फिर तूल पकड़ लिया है। अब यह मामला केवल यौन दुर्व्यवहार तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि साक्ष्य मिटाने और अदालत को गुमराह करने की साजिश तक पहुंच गया है। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालय प्रशासन के जवाबों में आए विरोधाभासों पर गहरी नाराजगी जताई है और पूरे घटनाक्रम की फोरेंसिक जांच के आदेश दिए हैं।

CCTV फुटेज पहले सुरक्षित, अब ‘गायब’

7 फरवरी 2025 को विश्वविद्यालय ने दावा किया था कि सभी CCTV कैमरे चालू हैं और फुटेज जांच में सहयोग हेतु उपलब्ध कराए जाएंगे। लेकिन जब वास्तव में जांच समिति ने फुटेज मांगे, तो कहा गया कि "घटना वाले दिन कैमरा तकनीकी कारणों से बंद था"। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ताओं आलोक बागरेचा और दीपक तिवाटी ने कोर्ट को बताया कि जानबूझकर उसी कैमरे को बंद बताया गया जिसमें घटना की रिकॉर्डिंग हो सकती थी, जबकि बाकी कैमरे चालू थे।

हाईकोर्ट ने जताई साजिश की आशंका

न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की एकल पीठ ने माना कि यदि साक्ष्य को छिपाने या नष्ट करने का प्रयास किया गया है तो यह न्यायिक प्रक्रिया के साथ गंभीर खिलवाड़ है। कोर्ट ने सवाल किया कि अगर जांच समिति को कैमरे के बंद होने की जानकारी थी तो इसे राज्य सरकार की उच्च स्तरीय जांच समिति से क्यों छुपाया गया? यह संकेत देता है कि आरोपी को बचाने के लिए सुनियोजित प्रयास किए जा रहे हैं।

फोरेंसिक जांच और कलेक्टर को निर्देश

हाईकोर्ट ने कलेक्टर जबलपुर को निर्देश दिए हैं कि स्वतंत्र तकनीकी विशेषज्ञों की मदद से CCTV की कार्यप्रणाली और रिकॉर्डिंग की स्थिति की गहन जांच कराई जाए। यह जांच तय करेगी कि कैमरा कब लगाया गया, कितने समय तक कार्यरत रहा, और 21 नवंबर 2024 को क्या वास्तव में वह बंद था या नहीं।

15 मई को अगली सुनवाई 

राज्य सरकार की ओर से अदालत में मौजूद अधिवक्ता ने निष्पक्ष जांच में सहयोग का भरोसा दिलाया। कोर्ट ने अब तक की रिपोर्टों को सीलबंद लिफाफे में सुरक्षित रखने के निर्देश दिए हैं और अगली सुनवाई 15 मई 2025 को तय की है।

Post a Comment

Previous Post Next Post