दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। सोशल मीडिया पर विवादित टिप्पणी करने के मामले में फंसी डिंडौरी कॉलेज की महिला अतिथि प्रोफेसर डॉ. नसीम बानो को जबलपुर न्यायालय ने नियमित जमानत देने से इनकार कर दिया है। इससे पहले उनकी अग्रिम जमानत याचिका भी खारिज हो चुकी थी। न्यायालय के इस निर्णय के बाद शासन ने उन्हें सेवा से भी हटा दिया है।
डॉ. नसीम बानो पर आरोप है कि उन्होंने एक व्हाट्सएप ग्रुप में देवी सीता के अपहरण से जुड़ा कार्टून वीडियो साझा किया था। साथ ही उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले का उल्लेख करते हुए कहा था कि "धर्म पूछकर गोली मारने और 'जय श्रीराम' के नारे लगाकर हत्या करने में कोई अंतर नहीं है।" इस टिप्पणी को लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने कड़ा विरोध जताते हुए 24 अप्रैल को कोतवाली थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी।
प्रकरण दर्ज होने के बाद पुलिस ने धार्मिक भावनाएं आहत करने की धाराओं में मामला दर्ज किया और उन्हें बुधवार को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। स्थानीय अधिवक्ताओं ने भी उनकी जमानत याचिका का विरोध किया और अदालत में तर्क दिया कि ऐसी टिप्पणी से समाज में गलत संदेश जाता है, खासकर जब आतंकी हमले में निर्दोष लोगों की धर्म पूछकर हत्या की गई हो।
कॉलेज प्राचार्य डॉ. सुल्तान सिंह ने अनुबंध समाप्त करने का प्रस्ताव शासन को भेजा था, जिसे स्वीकृति मिल गई है। इस प्रकार डॉ. नसीम बानो को न केवल न्यायिक कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि उन्हें नौकरी से भी हाथ धोना पड़ा है।