दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। गोरखपुर तहसील के तहसीलदार भरत सोनी और पटवारी शिखा तिवारी के खिलाफ आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो (EOW) द्वारा दर्ज एफआईआर पर बड़ा खुलासा हुआ है। कलेक्टर दीपक कुमार सक्सेना की ओर से गठित तीन सदस्यीय जांच समिति की रिपोर्ट में दोनों अधिकारियों को निर्दोष बताया गया है। जांच में पाया गया कि शिकायतकर्ता की ओर से दी गई गलत जानकारी के आधार पर यह कार्रवाई की गई, जबकि राजस्व अधिकारियों की कोई गलती नहीं थी।
प्रेमनगर निवासी अधिवक्ता भूपेंद्र सिंह ग्रेवाल ने जुलाई 2024 में EOW को शिकायत दी थी कि गोरखपुर तहसीलदार और पटवारी ने फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र के आधार पर जमीन का गलत नामांतरण किया। EOW ने इस शिकायत के आधार पर तहसीलदार भरत सोनी और पटवारी शिखा तिवारी के खिलाफ धारा 420, 467, 468, 471 और 120बी के तहत 24 अप्रैल 2025 को FIR दर्ज की थी।
कलेक्टर ने इस मामले की जांच के लिए एडीएम मिशा सिंह, एडीएम नाथूराम और एसडीएम अभिषेक सिंह की टीम गठित की। जांच रिपोर्ट में सामने आया कि शिकायतकर्ता ने अपने आवेदन में खाता और खसरा नंबर की अदला-बदली कर दी थी। इस आधार पर आदेश पारित हुआ। बाद में पटवारी ने फर्जीवाड़े की पहचान की और तहसीलदार ने तुरंत आदेश निरस्त कर दिया।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि EOW ने तहसील स्तर की जांच प्रक्रिया और वास्तविक दस्तावेजों को नजरअंदाज किया। तहसीलदार और पटवारी ने नियमों के अनुसार कार्य किया था। ऐसे में उनके खिलाफ FIR दर्ज करना गलत है।
इस कार्रवाई के विरोध में जबलपुर जिले के तहसीलदार और पटवारी शुक्रवार को काली पट्टी बांधकर कलेक्टर कार्यालय पहुंचे और ज्ञापन सौंपा। तहसीलदार संघ के जिला अध्यक्ष शशांक दुबे ने बताया कि बिना जांच के और बिना राजस्व अधिकारियों से समन्वय किए EOW द्वारा FIR दर्ज करना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने एफआईआर निरस्त करने और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की।
कलेक्टर दीपक सक्सेना ने जांच रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार के मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और EOW डीजी को रिपोर्ट भेजते हुए FIR को निरस्त करने की अनुशंसा की है।