दैनिक सांध्य बन्धु भोपाल। हिंदू छात्राओं से दुष्कर्म और ब्लैकमेलिंग के गंभीर मामले में शहर के काजी मुफ्ती मुश्ताक अली नदवी ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस्लाम में ऐसे दरिंदों के लिए कोई जगह नहीं है। उन्होंने शरीयत के हवाले से बताया कि बलात्कार जैसे अपराध के लिए इस्लामी कानून में सबसे कठोर सजा है — शादीशुदा दोषी को सार्वजनिक रूप से पत्थर मारकर मौत दी जाती है और अविवाहित को 100 कोड़े मारे जाते हैं।
काजी ने स्पष्ट कहा, "जो लोग इस्लाम का नाम लेकर ऐसे पाप करते हैं, वे इस्लाम को बदनाम करते हैं। ऐसे अपराधियों को किसी भी तरह की राहत नहीं मिलनी चाहिए।" उन्होंने कहा कि बलात्कार को इस्लाम में 'जिना' कहा गया है, जो गंभीर अपराध है और इसके लिए नरमी नहीं बरती जानी चाहिए।
बीते दिनों भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने इस मामले को लेकर धर्मग्रंथों और मौलवियों पर निशाना साधा था। उन्होंने पूछा कि अगर आरोपी ने कहा है कि 'हिंदू लड़कियों से दुष्कर्म करना सवाब है', तो उसे ये शिक्षा किस धर्मग्रंथ या मौलवी ने दी? शर्मा ने पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखकर ऐसे धर्मग्रंथों की जब्ती और आपत्तिजनक शिक्षा देने वाले मौलवियों पर कार्रवाई की मांग की है।
कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने भी इस मामले में कार्रवाई की मांग करते हुए स्पष्ट किया कि इस अपराध को धर्म और जाति से जोड़ना गलत है। उन्होंने कहा, "बेटी बेटी होती है, चाहे वह किसी भी धर्म की हो। अगर किसी मुस्लिम संगठन या व्यक्ति ने आरोपियों की मदद की है तो उन्हें बेनकाब किया जाए।" मसूद ने यह भी आरोप लगाया कि ड्रग्स की आपूर्ति, होटल की भूमिका और नगर निगम की निष्क्रियता जैसे असली मुद्दों से ध्यान हटाया जा रहा है।
मसूद ने नगर निगम से पूछा कि जिस होटल में यह कांड हुआ, उसे अभी तक ध्वस्त क्यों नहीं किया गया और उसकी लीज क्यों नहीं रद्द की गई। उन्होंने कहा कि भोपाल की महापौर एक महिला होते हुए भी अब तक इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।