Jabalpur News: आरडीवीवी कुलपति पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोप की जांच को लेकर एसआईटी गठित करने के आदेश

दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय (RDVV) के कुलपति डॉ. राजेश वर्मा पर विश्वविद्यालय में पदस्थ एक महिला अधिकारी द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोपों की जांच अब विशेष जांच दल (SIT) करेगा। इस संबंध में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने पुलिस महानिदेशक (DGP) को तीन दिन के भीतर SIT गठित करने के आदेश दिए हैं।

जस्टिस विशाल मिश्रा की एकल पीठ ने निर्देश दिया है कि इस टीम का नेतृत्व पुलिस महानिरीक्षक (IG) स्तर के अधिकारी को सौंपा जाए, और इसमें एक महिला आईपीएस अधिकारी अनिवार्य रूप से शामिल हो, जिसकी रैंक एसपी से कम न हो। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि टीम में जबलपुर जिले से कोई अधिकारी न हो, ताकि निष्पक्षता बनी रहे।

हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि पहले की गई जांच निष्पक्ष नहीं थी और इसमें कई खामियां रही हैं। कोर्ट ने कहा कि यह मामला "विशाखा बनाम राज्य राजस्थान 1997" के दिशा-निर्देशों के अंतर्गत आता है और इसकी गंभीरता को देखते हुए स्वतंत्र जांच आवश्यक है।

सीसीटीवी फुटेज गायब, कोर्ट ने जताई नाराजगी

इससे पहले की सुनवाई में कोर्ट ने विश्वविद्यालय प्रशासन की उस दलील पर नाराजगी जताई थी जिसमें कहा गया था कि "घटना के दिन सीसीटीवी कैमरे बंद थे।" कोर्ट ने कलेक्टर को निर्देश दिए हैं कि फोरेंसिक और तकनीकी विशेषज्ञों की मदद से यह जांच कराई जाए कि कैमरे कब से बंद थे और क्यों। कुलसचिव को यह भी बताने के लिए कहा गया है कि पुराने आदेश के बावजूद फुटेज सुरक्षित क्यों नहीं रखा गया।

एनएसयूआई ने उठाई इस्तीफे की मांग

हाईकोर्ट के आदेश के बाद एनएसयूआई ने कुलपति डॉ. राजेश वर्मा से इस्तीफे की मांग तेज कर दी है। एनएसयूआई के प्रदेश सचिव अदनान अंसारी ने कहा कि “जबसे महिला अधिकारी ने गंभीर आरोप लगाए हैं, हम लगातार उनके इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। अब जबकि कोर्ट ने एसआईटी जांच का आदेश दे दिया है, तो नैतिकता के आधार पर कुलपति को पद छोड़ देना चाहिए।”

महिला अधिकारी ने लगाए गंभीर आरोप

महिला अधिकारी का आरोप है कि 21 नवंबर 2024 को एक बैठक के दौरान कुलपति ने उनके साथ अभद्र भाषा का प्रयोग किया और आपत्तिजनक इशारे किए। उन्होंने प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा और राज्य महिला आयोग को भी शिकायतें भेजीं, लेकिन कार्रवाई न होने पर उन्हें हाईकोर्ट का रुख करना पड़ा।

कोर्ट ने जून में मांगी जांच रिपोर्ट

कोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि SIT जांच पूरी कर जून में अगली सुनवाई से पहले विस्तृत रिपोर्ट पेश की जाए। कोर्ट का स्पष्ट रुख है कि पीड़िता को न्याय मिलना चाहिए और संस्थागत जवाबदेही सुनिश्चित की जानी चाहिए।

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