Jabalpur News: मुखर्जी अस्पताल में इलाज के नाम पर किया जा रहा खिलवाड़ !

दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। मुखर्जी पीजी मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल में इलाज के नाम पर लापरवाही और घोर अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए पीड़ित मरीज कन्हैया रामकृष्ण तिवारी उर्फ सुनील तिवारी ने पत्रकारवार्ता में पूरे मामले को सार्वजनिक किया। उन्होंने अस्पताल प्रबंधन, डॉक्टरों की भूमिका और जांच प्रक्रिया की निष्पक्षता पर कई सवाल खड़े किए।

तिवारी ने बताया कि 15 जून 2023 को उनके पैर का ऑपरेशन किया गया, जिसमें टाइटेनियम प्लेट लगाई गई थी। इसके चार महीने बाद दोबारा बोन ग्राफ्टिंग की सलाह दी गई, लेकिन उन्होंने सवाल उठाया कि यह पहले क्यों नहीं बताया गया। उन्होंने दावा किया कि डॉक्टरों ने खुद कहा था कि यदि लापरवाही हुई तो प्लेट हड्डी और मांस फाड़कर बाहर आ सकती है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ, बल्कि 10 महीने बाद प्लेट ही टूट गई। इससे टाइटेनियम प्लेट की गुणवत्ता पर सवाल खड़ा हुआ।

उन्होंने यह भी कहा कि इलाज के दौरान ऑपरेशन किस डॉक्टर ने किया यह स्पष्ट नहीं है। यदि डॉक्टर अभिजीत मुखर्जी ने ऑपरेशन नहीं किया तो उनकी अनुपस्थिति में सर्जरी किसने की, और क्या ऐसा नियमों के अनुसार संभव है? तिवारी का आरोप है कि अब सारा दोष डॉक्टर विनोद जैन पर मढ़ा जा रहा है, जबकि पूरे मामले में अस्पताल प्रबंधन की भूमिका संदिग्ध है।

सीएमएचओ कार्यालय में की गई शिकायतों पर भी उन्होंने सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि शिकायतकर्ता को जांच में पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया और जांच समिति में निष्पक्ष सदस्यों को शामिल नहीं किया गया। एक ही मामले में बार-बार अलग-अलग समितियाँ गठित की गईं, जिससे संदेह पैदा होता है कि जांच निष्पक्ष नहीं बल्कि लीपापोती है।

तिवारी ने कहा कि उन्होंने कलेक्टर को भी न्यायिक जांच की मांग को लेकर पत्र सौंपा था, लेकिन आज तक कोई स्पष्ट सूचना नहीं दी गई। जबकि सीएमएचओ ने कहा था कि डॉक्टरों को क्लीन चिट दे दी गई है। उन्होंने पूछा कि यदि ऐसा है तो उन्हें क्यों नहीं सूचित किया गया?

पत्रकारवार्ता में उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मुखर्जी अस्पताल आवासीय भूमि पर अवैध रूप से व्यावसायिक गतिविधियाँ चला रहा है। फायर एनओसी, साइकिल स्टैंड, टैक्स मद आदि में भी भारी गड़बड़ी है। उन्होंने सवाल उठाया कि यदि किसी दिन यहां कोई बड़ा हादसा होता है तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा।

तिवारी ने स्पष्ट किया कि यह आंदोलन किसी ब्लैकमेल के उद्देश्य से नहीं है बल्कि मरीजों के अधिकारों और न्याय के लिए है। उन्होंने कहा कि चाहे जेल जाना पड़े या जान भी देनी पड़े, वे पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने सभी पीड़ितों से जुड़ने का आह्वान किया और कहा कि अब आरोप-प्रत्यारोप नहीं बल्कि खुले मंच पर चर्चा होनी चाहिए।

इस अवसर पर शैलेन्द्र बारी, रोशन गौतेल, हिमांशु त्रिपाठी, आशीष विश्वकर्मा, सोनू सतनामी, सुमित यादव, शुभाशु त्रिपाठी आदि मौजूद रहे।

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