दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। भ्रष्टाचार के मामलों में लिप्त जनप्रतिनिधियों के खिलाफ एक सख्त संदेश देते हुए जबलपुर हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि ऐसे सरपंचों को पंचायत के पैसे खर्च करने का हक नहीं है। हाईकोर्ट के जस्टिस विशाल धगट की एकलपीठ ने ग्राम पंचायत मायकी, तहसील सोहागपुर, जिला शहडोल के सरपंच मंघु बैगा की याचिका को खारिज कर दिया।
सरपंच मंघु बैगा ने कोर्ट में यह याचिका दायर की थी कि उसके खिलाफ सिर्फ रिश्वत लेने का मामला दर्ज है, अभी कोई दोष सिद्ध नहीं हुआ, इसलिए उसके वित्तीय अधिकार वापस लेना गलत है। मगर कोर्ट ने इस दलील को खारिज कर दिया और कहा कि जब भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला लंबित है, तो पंचायत निधियों की सुरक्षा के लिए यह कदम जरूरी है।
सरपंच मंघु बैगा पर लोकायुक्त द्वारा 50 हजार रुपये की रिश्वत लेने का केस दर्ज किया गया है। इस शिकायत के बाद जिला पंचायत शहडोल के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने उनके वित्तीय अधिकार छीनकर पंचायत समन्वयक राजबहोर साकेत को सौंप दिए थे।
कोर्ट ने "मध्य प्रदेश पंचायत (मुख्य कार्यपालन अधिकारी की शक्तियाँ एवं कार्य) नियम, 1995" का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि सीईओ को यह अधिकार है कि वह पंचायत कार्यों की निगरानी करें और संपत्ति व निधियों की सुरक्षा सुनिश्चित करें। ऐसे में भ्रष्टाचार में लिप्त सरपंच से वित्तीय अधिकार छीना जाना न केवल विधिसम्मत है, बल्कि जनहित में भी जरूरी है।