दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। वन परिक्षेत्र कुंडम के ग्राम बघराजी के टिकरिया गांव में रविवार और सोमवार की दरम्यानी रात उस समय हड़कंप मच गया जब एक छह फीट लंबा मगरमच्छ आबादी वाले इलाके में पहुंच गया। मगरमच्छ को रात करीब 1:30 बजे गांव के आदिवासी छात्रावास के सामने मुख्य सड़क पर घूमते हुए देखा गया। अचानक हुई इस घटना से ग्रामीणों में भय और आशंका का माहौल बन गया।
पूरी रात दहशत में जगे रहे ग्रामीण
मगरमच्छ के दिखाई देने की खबर जैसे ही फैली, ग्रामीण अपने घरों से बाहर निकल आए। सभी ने मिलकर मगरमच्छ को घेर लिया और उसे किसी घर या छात्रावास में घुसने से रोकने के लिए पूरी रात निगरानी करते रहे। छात्रावास में बच्चों की सुरक्षा को लेकर सबसे ज्यादा चिंता जताई गई। स्थानीय लोगों के अनुसार, पूरे गांव में अफरा-तफरी और कोहराम मच गया था।
वन विभाग को रात में दी सूचना, सुबह पहुंची रेस्क्यू टीम
मगरमच्छ की मौजूदगी की सूचना वन विभाग को रात में ही दी गई, लेकिन स्थानीय वन अमला मौके पर नहीं पहुंचा। इसके चलते ग्रामीणों में गुस्सा और निराशा भी देखी गई।
जब मामले की खबर वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों तक सुबह पहुंची, तब जाकर जबलपुर से रेस्क्यू टीम को भेजा गया, जो सुबह करीब 7 बजे मौके पर पहुंची।
मोघा नाला से गांव में घुसा मगरमच्छ
ग्रामीणों ने बताया कि गांव से लगभग आधा किलोमीटर दूर स्थित मोघा नाला से यह मगरमच्छ बहकर टिकरिया गांव तक पहुंचा होगा। बरसात के दिनों में नालों और नदियों का जलस्तर बढ़ने से अक्सर मगरमच्छ जैसे जलीय जीव आबादी वाले इलाकों में पहुंच जाते हैं, लेकिन अब इन मगरमच्छों का आकार बढ़ता जा रहा है, जो एक नई चिंता का विषय बन गया है।
सुरक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल
पूरी रात ग्रामीणों ने स्वयं की जान जोखिम में डालकर मगरमच्छ को आबादी से दूर रोके रखा, लेकिन वन विभाग की देरी से पहुंच और तत्काल रिस्पॉन्स न मिलने से लोगों में आक्रोश देखा गया। ग्रामीणों का कहना है कि यदि मगरमच्छ किसी के घर में घुस जाता या किसी पर हमला कर देता, तो बड़ा हादसा हो सकता था।
ग्रामीणों ने की सुरक्षा व्यवस्था की मांग
घटना के बाद टिकरिया गांव के लोगों ने वन विभाग से स्थायी समाधान की मांग की है। उनका कहना है कि बरसात के समय गश्त बढ़ाई जाए और संभावित मगरमच्छ प्रविष्टि वाले क्षेत्रों में रोकथाम के उपाय किए जाएं। साथ ही रेस्क्यू टीम की उपलब्धता 24 घंटे सुनिश्चित की जाए, ताकि भविष्य में किसी भी आपात स्थिति से समय रहते निपटा जा सके।
ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि न तो स्थानीय प्रशासन और न ही वन विभाग ने रात में उनकी चिंता को गंभीरता से लिया। यदि ग्रामीण सजगता और एकता न दिखाते तो यह घटना एक भयानक हादसे में बदल सकती थी।