दैनिक सांध्य बन्धु नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने स्वतंत्रता के बाद पहली बार देश में जातीय जनगणना कराने का निर्णय लिया है। यह जनगणना दो चरणों में कराई जाएगी। पहले चरण में हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख जैसे चार पहाड़ी राज्यों में 1 अक्टूबर 2026 से जातीय जनगणना की शुरुआत होगी। वहीं, दूसरे चरण में देश के बाकी राज्यों में 1 मार्च 2027 से यह जनगणना कराई जाएगी।
गृह मंत्रालय के अनुसार, इस जनगणना में जनसंख्या गणना के साथ-साथ जातियों की भी गणना की जाएगी। इसके लिए संबंधित कानूनों में जरूरी संशोधन किए जाएंगे, क्योंकि जनगणना एक्ट 1948 में केवल SC-ST की गिनती का प्रावधान है। OBC जातियों की गिनती के लिए इसमें संशोधन अनिवार्य होगा।
30 अप्रैल 2025 को मिली थी मंजूरी
जातीय जनगणना को लेकर 30 अप्रैल 2025 को केंद्र सरकार ने आधिकारिक तौर पर मंजूरी दी थी। इसका नोटिफिकेशन 16 जून 2025 को राजपत्र में प्रकाशित किया जा सकता है। इससे पहले 2011 में सामाजिक-आर्थिक जातिगत जनगणना (SECC) कराई गई थी, लेकिन इसके आंकड़े कभी सार्वजनिक नहीं किए गए।
जनगणना फॉर्म में होंगे अतिरिक्त कॉलम
अब तक की जनगणनाओं में 29 कॉलम होते थे जिनमें केवल SC और ST से संबंधित जानकारियां ली जाती थीं। लेकिन जातीय जनगणना के लिए नए कॉलम जोड़े जाएंगे, जिससे देश में OBC की लगभग 2,650 जातियों के आंकड़े मिल सकेंगे।
राहुल गांधी और विपक्ष की मांग रही
कांग्रेस नेता राहुल गांधी और अन्य विपक्षी दल लंबे समय से जातिगत जनगणना की मांग करते रहे हैं। राहुल गांधी ने 2023 से कई मंचों पर इस मुद्दे को उठाया था।
केंद्र का आरोप: कांग्रेस ने पहले किया था विरोध
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि कांग्रेस की सरकारों ने 1947 से अब तक जातीय जनगणना नहीं कराई, बल्कि हमेशा इसका विरोध किया। 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार ने इस विषय पर एक मंत्रियों का समूह गठित किया था, लेकिन कोई निर्णय नहीं लिया गया।