दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। साहसिक खेलों में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल करने वाली मध्यप्रदेश की बेटी और एवरेस्ट विजेता मेघा परमार को विक्रम अवॉर्ड ना दिए जाने के मामले में हाईकोर्ट पहुंचना पड़ा। उन्होंने अवॉर्ड से वंचित रखने को चुनौती देते हुए याचिका दायर की, जिस पर जस्टिस अमित सेठ की एकलपीठ ने राज्य सरकार को दो सप्ताह में जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।
मेघा परमार की ओर से सीनियर एडवोकेट एवं राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने पैरवी करते हुए कहा कि अवॉर्ड के लिए चयनित भावना डेहरिया की योग्यता पर कोई आपत्ति नहीं है, बल्कि दोनों पर्वतारोहियों को समान उपलब्धियों के आधार पर सम्मान मिलना चाहिए।
मेघा बोलीं – मैं प्रदेश की पहली महिला, जिसने एवरेस्ट फतह किया
याचिका में मेघा परमार ने कहा कि वे प्रदेश की पहली महिला हैं, जिन्होंने 22 मई 2019 को माउंट एवरेस्ट फतह किया, जबकि भावना डेहरिया करीब पांच घंटे बाद शिखर पर पहुंचीं। इसके अलावा मेघा ने माउंट कोस्कियसको, माउंट किलिमंजारो और माउंट एल्ब्रस की चोटी भावना से पहले फतह की थी।
याचिका में दोनों खिलाड़ियों का टाइमिंग डेटा भी प्रस्तुत किया गया और यह मांग रखी गई कि योग्यता के आधार पर दोनों को विक्रम अवॉर्ड मिलना चाहिए।
नामों की घोषणा हो चुकी, अब बदलाव संभव नहीं
सरकार की ओर से कोर्ट में बताया गया कि विक्रम अवॉर्ड के लिए नामों की घोषणा पहले ही हो चुकी है, अब उसमें बदलाव नहीं किया जा सकता। साथ ही याचिका में भावना को अनावेदक न बनाए जाने पर आपत्ति जताई गई।
इस पर याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि वह भावना को अवॉर्ड दिए जाने के खिलाफ नहीं हैं, इसलिए उन्हें पक्षकार नहीं बनाया गया। जरूरत पड़ने पर याचिका में संशोधन के लिए भी वे तैयार हैं। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को सरकार के समक्ष अभ्यावेदन देने की स्वतंत्रता दी है।
तन्खा ने लिखा मुख्यमंत्री को पत्र
राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पत्र लिखते हुए कहा कि साहसिक खेलों में विक्रम अवॉर्ड की जो नामांकन सूची जारी हुई है, उसमें प्रदेश की बेटी मेघा परमार का नाम किसी कारण छूट गया, जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।
उन्होंने लिखा कि जब भावना डहरिया को सम्मान मिल सकता है, तो उससे पहले एवरेस्ट पर पहुंची मेघा को क्यों नहीं? यह सिर्फ मेघा नहीं, बल्कि लाखों प्रदेशवासियों की भावनाओं को आहत करने वाला निर्णय है। 12 जून को यह अवॉर्ड दिया जाना है, इसलिए मेघा के लिए यह आखिरी अवसर है।