रेबीज इंजेक्शन देने के बाद भी नहीं बची जान: रीवा में 14 साल के किशोर की संदिग्ध मौत



रीवा। मध्यप्रदेश के रीवा जिले में एक 14 वर्षीय किशोर की रेबीज संक्रमण से मौत ने स्वास्थ्य व्यवस्था की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। किशोर को कुत्ते के काटने के बाद रेबीज रोधी तीनों इंजेक्शन समय पर दिए गए थे, बावजूद इसके संक्रमण ने उसे मौत के मुंह में धकेल दिया। घटना के बाद टीकों की गुणवत्ता, अस्पताल प्रबंधन और नगर निगम की कार्यप्रणाली तीनों पर एक साथ उंगलियां उठ रही हैं।
गर्दन पर कुत्ते के काटने से बिगड़ी हालत, इलाज के बावजूद नहीं बची जान

घटना नरेंद्र नगर की है, जहां ग्राम पहाड़िया निवासी राजेश नट (14) 16 जून को अपनी मौसी के घर आया था। घर के बाहर खेलते समय एक आवारा कुत्ते ने उसकी गर्दन पर काट लिया। परिवार ने तुरंत उसे कुशाभाऊ ठाकरे जिला अस्पताल पहुंचाया, जहां चिकित्सकों ने तय प्रोटोकॉल के अनुसार 16, 20 और 27 जून को तीन डोज रेबीज टीके के लगाए।

लेकिन कुछ दिनों में ही राजेश की तबीयत तेजी से बिगड़ने लगी। वह मानसिक असंतुलन, भ्रम और घबराहट जैसी रेबीज के क्लासिक लक्षण दिखाने लगा। गंभीर हालत में उसे संजय गांधी अस्पताल में भर्ती किया गया, जहां डॉक्टरों ने स्पष्ट कर दिया कि वह रेबीज से संक्रमित है और इलाज संभव नहीं है। 10 जुलाई को राजेश की मौत हो गई।
कलेक्टर ने जताई चिंता, मांगी रिपोर्ट

घटना की गंभीरता को देखते हुए रीवा कलेक्टर प्रतिभा पाल ने तत्काल जांच के आदेश दिए हैं और संजय गांधी अस्पताल के अधीक्षक से पूरे घटनाक्रम की विस्तृत रिपोर्ट तलब की है। कलेक्टर ने इसे “असाधारण मामला” बताया, क्योंकि समय पर टीकाकरण के बावजूद इस तरह की मौत पहली बार सामने आई है।
संभावित वजहें: नस पर गहरा जख्म या टीके की गुणवत्ता?

अस्पताल प्रशासन दो संभावनाएं सामने रख रहा है:


कुत्ते ने गर्दन की नस पर गहरा घाव किया हो, जिससे संक्रमण सीधे मस्तिष्क तक पहुंच गया।


या फिर रेबीज टीकों की गुणवत्ता संदिग्ध हो सकती है, जिससे प्रतिरोधक प्रभाव नहीं बन पाया।


टीके सरकारी अस्पताल में ही उपलब्ध कराए गए थे, जिससे पूरे स्वास्थ्य तंत्र की जवाबदेही पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

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