सरकारी स्कूल की जर्जर दीवारों ने छीन लिए 5 मासूमों के प्राण, दर्जनों ज़िंदगी और झूले में

 



झालावाड़ (राजस्थान), 25 जुलाई।राजस्थान के झालावाड़ जिले से शुक्रवार की सुबह एक दर्दनाक और झकझोर देने वाली खबर सामने आई। मनोहरथाना ब्लॉक के पीपलोदी गांव स्थित एक सरकारी स्कूल की जर्जर इमारत का ढहना पांच मासूम बच्चों के जीवन का अंत बन गया। इस हृदयविदारक हादसे में 30 से अधिक छात्र गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। मृतकों की चीखती खामोशी अब सरकारी सिस्टम पर सवालों की गूंज बन गई है।

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, हादसा उस वक्त हुआ जब बच्चे कक्षा में पढ़ाई कर रहे थे। अचानक दीवार और छत का हिस्सा भरभरा कर गिर पड़ा। घटनास्थल पर चीख-पुकार मच गई। शिक्षक और ग्रामीण बिना देरी किए दौड़े, अपने हाथों से मलबा हटाने लगे। बच्चों को किसी तरह बाहर निकाला गया और मनोहरथाना अस्पताल पहुंचाया गया।

डॉ. कौशल लोढ़ा ने बताया कि कुल 35 घायल बच्चों को अस्पताल लाया गया, जिनमें से 11 की हालत गंभीर है। इन्हें जिला अस्पताल रेफर किया गया है। हालात की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन और पुलिस के आला अधिकारी मौके पर पहुंचे और राहत-बचाव कार्य में जेसीबी की मदद से मलबा हटवाया जा रहा है।

यह महज एक हादसा नहीं, बल्कि सिस्टम की लापरवाही का नतीजा है। ग्रामीणों ने बताया कि स्कूल भवन वर्षों से जर्जर था। बारिश के दिनों में दीवारों से पानी टपकता था, जिसकी शिकायतें कई बार की गईं, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। आज वही दीवारें बच्चों की कब्र बन गईं।

प्रशासन ने जांच के आदेश दे दिए हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या हर हादसे के बाद जांच और मुआवज़ा ही नियति बन चुका है? क्या सरकारी स्कूलों की बदहाल इमारतों की सुध कोई तभी लेता है, जब वह मासूमों को निगल ले?

प्रदेश में इससे पहले भी सरकारी स्कूलों की दुर्दशा को लेकर कई हादसे सामने आ चुके हैं, लेकिन व्यवस्था तब भी नहीं जागी। आज का दिन एक बार फिर यह बताने आया है कि बजट में घोषणाएं होती हैं, ज़मीन पर ज़िम्मेदारियां नहीं निभाई जातीं।

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