Jabalpur News: आबकारी अफसर पर 2.60 करोड़ सेवा शुल्क वसूली का आरोप, ठेकेदार बोले - VIP खर्च देना है तो शराब ओवररेट पर बेचनी पड़ेगी; दुकानों में मारपीट की CCTV रिकॉर्डिंग सौंपने के बाद जांच रिपोर्ट तैयार

दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। शराब दुकानों से 2 करोड़ 60 लाख रुपये सेवा शुल्क और वीआईपी खर्च वसूले जाने के गंभीर आरोपों में घिरे जबलपुर के सहायक आबकारी आयुक्त संजीव दुबे की मुश्किलें बढ़ गई हैं। दुकानदारों ने दावा किया है कि इस अवैध वसूली के चलते उन्हें शराब ओवररेट पर बेचनी पड़ रही है।

शनिवार को इस मामले में अपर आयुक्त मुकेश नेमा और डिप्टी कमिश्नर के.सी. अग्निहोत्री ने दुकानदारों और आबकारी अफसरों से अलग-अलग करीब एक-एक घंटे तक पूछताछ की। जांच के बाद रिपोर्ट प्रमुख सचिव वाणिज्यकर को भेजी जाएगी।

दुकानदार बोले- दुकानें सरेंडर करने की नौबत

ठेकेदार अजय सिंह बघेल ने बताया कि संजीव दुबे ने 4 दुकानों में जबरन घुसकर कर्मचारियों से मारपीट की और डीवीआर तक निकालकर ले गए। कर्मचारी डर के मारे काम छोड़कर भाग गए हैं। ठेकेदार प्रदीप पटेल ने कहा कि हर दुकान से लाखों की सेवा राशि और VIP खर्च वसूला जा रहा है, नहीं देने पर उत्पीड़न किया जाता है।

मारपीट की घटना CCTV में रिकॉर्ड

गुरुवार को हुई मारपीट की घटना दुकानों में लगे CCTV कैमरों में कैद हो गई। दुकानदारों ने फुटेज जांच टीम को पेनड्राइव में सौंपे हैं। ठेकेदारों का कहना है कि संजीव दुबे ने धमकी दी- "मालिक से कहो दुकान सरेंडर कर दे, वरना बर्बाद कर दूंगा।"

आबकारी विभाग ने कहा- अवैध शराब पकड़ी थी

वहीं, आबकारी विभाग का पक्ष है कि 11 जुलाई को 216 लीटर अवैध शराब पकड़ी गई थी, जिसमें ठेकेदार पक्ष शामिल था। इसी की जांच के लिए संजीव दुबे दुकान पहुंचे थे, जहां विवाद हुआ।

संजीव दुबे ने लिए 'चरित्र प्रमाण पत्र'

जांच के दौरान संजीव दुबे ने कुछ ठेकेदारों से अपने पक्ष में चरित्र प्रमाण पत्र लिखवाकर जांच टीम को सौंपे। सूत्रों का कहना है कि इनमें से कुछ पत्र दबाव में लिखवाए गए हैं।

पहले भी रहे हैं विवादों में

संजीव दुबे पूर्व में भोपाल और इंदौर में 40 करोड़ के घोटाले के आरोप में निलंबित हो चुके हैं। प्रमुख सचिव वाणिज्यकर ने इनकी पोस्टिंग पर भी आपत्ति जताई थी, मगर कार्रवाई नहीं हुई।

बयान देने से जांच अधिकारी ने किया इनकार

अपर आयुक्त मुकेश नेमा ने मीडिया से बात करने से इनकार करते हुए कहा कि वे सिर्फ रिपोर्ट बनाकर वरिष्ठ अधिकारियों को सौंपेंगे।

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