दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि यह मामला दुष्कर्म का नहीं बल्कि यौन शोषण का है। इसी आधार पर कोर्ट ने दोषी को दी गई उम्रकैद की सजा को घटाकर चार साल के कारावास में बदल दिया।
यह आदेश हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल और न्यायमूर्ति अवनींद्र कुमार सिंह की डबल बेंच ने सुनाया। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि मेडिकल रिपोर्ट में पीड़िता के शरीर पर कोई आंतरिक या बाहरी चोट नहीं पाई गई है।
यह मामला सिंगरौली निवासी विंदोस राव से जुड़ा है। पॉक्सो अदालत ने 11 सितंबर 2023 को उसे उम्रकैद की सजा सुनाई थी। दोषी की ओर से अधिवक्ता महेश प्रसाद शुक्ला ने हाईकोर्ट में अपील करते हुए दलील दी कि केवल डीएनए रिपोर्ट के आधार पर उम्रकैद की सजा दिया जाना न्यायसंगत नहीं है।
सुनवाई के दौरान यह तथ्य सामने आया कि पीड़िता की नानी ने भी अपने बयान में कहा कि उसने पुलिस के दबाव में आकर आरोपी पर आरोप लगाए थे। मेडिकल जांच में भी किसी तरह की चोट या बल प्रयोग के निशान नहीं पाए गए।
कोर्ट ने सभी तथ्यों पर गौर करने के बाद माना कि यह मामला पॉक्सो एक्ट की धारा-3 के तहत दुष्कर्म नहीं बनता, बल्कि धारा-7 के तहत यौन शोषण की श्रेणी में आता है। ऐसे में उम्रकैद की सजा अनुचित है। कोर्ट ने दोषी को चार वर्ष के साधारण कारावास की सजा सुनाई।