राजगढ़-भोपाल को जोड़ने वाला पार्वती नदी का पुल बंद, 50 किमी लंबा चक्कर बना ग्रामीणों की मजबूरी; प्रशासन की लापरवाही पर भड़के लोग



राजगढ़। मध्य प्रदेश के राजगढ़ और भोपाल जिलों को जोड़ने वाला पार्वती नदी पर स्थित पुराबरायठा पुल अब पूरी तरह बंद कर दिया गया है। प्रशासन ने इसे अत्यंत जर्जर और दुर्घटना संभावित मानते हुए बुधवार 2 जुलाई से सभी प्रकार के वाहनों की आवाजाही पर रोक लगा दी है। इस फैसले से स्थानीय लोगों को रोजमर्रा की आवाजाही के लिए करीब 50 किलोमीटर लंबा वैकल्पिक रास्ता अपनाना पड़ेगा, जिससे जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो गया है।

पुल की हालत खतरनाक, कभी भी ढह सकता है

पार्वती नदी पर बना यह पुल बीते छह महीनों से क्षतिग्रस्त है। 16 जनवरी को इसकी हालत खराब होने के बाद से लगातार चेतावनियाँ दी जा रही थीं, लेकिन स्थायी मरम्मत या पुनर्निर्माण के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। अब जब बारिश शुरू हो चुकी है, प्रशासन को पुल की गंभीर स्थिति की याद आई। तकनीकी जांच रिपोर्ट में पुल को "खतरनाक" घोषित किया गया, जिसके बाद इसे बंद करने का निर्णय लिया गया।

बाढ़ के जोखिम के बीच प्रशासन का फैसला

लोक निर्माण विभाग (सेतु) के कार्यपालन यंत्री और मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम की टीम ने पुल का निरीक्षण कर रिपोर्ट सौंपी, जिसमें कहा गया कि भारी बारिश के दौरान नदी में बाढ़ की स्थिति बनने पर पुल पूरी तरह बह सकता है। प्रशासन ने इसके बाद आवागमन को तत्काल प्रभाव से रोकने का आदेश जारी किया।

वैकल्पिक मार्ग असुविधाजनक, ग्रामीणों में आक्रोश

पुल बंद होने से ग्रामीणों और यात्रियों को अब सेमलापार, सीलखेड़ा, लखनवास, संवासी और नजीराबाद होकर लंबा रास्ता तय करना होगा। खासकर स्कूल जाने वाले बच्चे, किसान और व्यापारी वर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि पुल के दूसरे छोर पर उनकी खेती की ज़मीनें, स्कूल और बाजार हैं। अब उन्हें रोज 50 किलोमीटर अतिरिक्त सफर करना होगा। इससे समय, खर्च और मेहनत तीनों बढ़ गई है।

प्रशासन पर लापरवाही का आरोप, आंदोलन की चेतावनी

ग्रामीणों ने प्रशासन पर समय रहते उचित कार्रवाई न करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि छह महीने से पुल जर्जर हालत में था, लेकिन अब जाकर बारिश में जब हादसे की आशंका बढ़ गई तब आनन-फानन में रास्ता बंद कर दिया गया।
ग्रामीणों ने वैकल्पिक व्यवस्था के अभाव में आंदोलन की चेतावनी दी है। उनका कहना है कि यदि जल्द स्थायी समाधान या नया पुल निर्माण शुरू नहीं किया गया, तो वे विरोध प्रदर्शन करेंगे।

क्या कहते हैं अधिकारी?

बैरसिया एसडीएम आशुतोष शर्मा ने बताया कि “पुल कभी भी गिर सकता है। बाढ़ के समय इसमें पानी का दबाव बहुत अधिक होता है। लोगों की सुरक्षा को देखते हुए यह जरूरी था कि समय रहते यातायात पूरी तरह रोका जाए।

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