Jabalpur News: गढ़ा देह व्यापार कांड में मुख्य सरगना अब भी फरार, पीड़िता ने लगाए पुलिस पर संरक्षण देने के आरोप, एसपी ने किया इनाम घोषित

दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। गढ़ा क्षेत्र में एक माह पूर्व उजागर हुए देह व्यापार गिरोह के मुख्य आरोपी शीतल दुबे उर्फ मथुरा प्रसाद की गिरफ्तारी अब तक नहीं हो सकी है। बुधवार को एसपी जबलपुर संपत उपाध्याय ने आरोपी की गिरफ्तारी के लिए 5 हजार रुपये का इनाम घोषित किया। इस मामले में पहले से गिरफ्तार भाजपा मंडल अध्यक्ष अतुल चौरसिया को पार्टी ने निष्कासित कर दिया है।

हालांकि, पीड़िता ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्य आरोपी को जानबूझकर बचाया जा रहा है। पीड़िता के अनुसार, डिंडोरी जिले के गल्ला गोदाम इलाके का रहने वाला शीतल दुबे पूरे देह व्यापार रैकेट का मास्टरमाइंड है, जिसे पुलिस अभी तक गिरफ्तार नहीं कर पाई है।

एक जून को होटल पर पड़ा था छापा

गढ़ा थाना पुलिस ने 1 जून को शहर के होटल अतिथि में छापा मारकर देह व्यापार के रैकेट का भंडाफोड़ किया था। पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए होटल से भाजपा नेता अतुल चौरसिया को गिरफ्तार किया था, जबकि मुख्य आरोपी शीतल दुबे मौके से फरार हो गया।

पीड़िता ने बताया कि वह वर्ष 2023 में जबलपुर आई थी और एक ब्यूटी पार्लर में काम करते हुए उसकी मुलाकात शीतल दुबे से हुई थी। शीतल ने ही उसकी मुलाकात अतुल चौरसिया से कराई और होटल में नौकरी दिलाई। इसके बाद उसे देह व्यापार में धकेल दिया गया।

जबरन भेजा जाता था पुरुषों के पास

पीड़िता के अनुसार, होटल में उसे अन्य युवतियों के साथ रखा जाता था और पुरुषों के साथ जबरन भेजा जाता था। विरोध करने पर उसे धमकाया जाता, मारपीट की जाती और कमरे में बंद कर शारीरिक शोषण किया जाता। उसने यह भी आरोप लगाया कि नवंबर 2024 में अतुल चौरसिया ने उसके साथ दुष्कर्म किया।

पीड़िता को मिलता था नाममात्र पैसा

महिला ने बताया कि होटल में आने वाले हर ग्राहक से 2 से 5 हजार रुपये तक वसूले जाते थे, लेकिन उसे उसमें से नाममात्र ही पैसा मिलता। जब भी वह पैसे की मांग करती, उसे चुप करा दिया जाता या धमकाया जाता।

न्याय के लिए भटक रही पीड़िता

पीड़िता का कहना है कि मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी में हो रही देरी से उसे न्याय मिलने में विलंब हो रहा है। उसने उच्च अधिकारियों से गुहार लगाई है कि आरोपी को शीघ्र गिरफ्तार कर उस पर कड़ी कार्रवाई की जाए।

सवाल खड़े कर रही पुलिस की सुस्ती

पुलिस की कार्यप्रणाली पर अब सवाल उठने लगे हैं। एक माह बीत जाने के बाद भी मुख्य सरगना की गिरफ्तारी न होना, और पीड़िता द्वारा सीधे तौर पर पुलिस पर संरक्षण का आरोप लगाना, मामले को और गंभीर बना रहा है।

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