News update : 17 साल बाद पकड़ी गई 8 करोड़ की बैंक धोखाधड़ी की आरोपी महिला, पहचान बदलकर इंदौर में रह रही थी .... CBI ने इमेज सर्च टूल से की गिरफ्तारी

 



इंदौर/बेंगलुरु। आठ करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी के एक जटिल और लंबे समय से लंबित मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने 17 साल बाद बड़ी सफलता हासिल की है। एजेंसी ने वर्षों से फरार चल रही आरोपी मणि एम. शेखर को मध्य प्रदेश के इंदौर से गिरफ्तार कर लिया है। सबसे खास बात यह रही कि CBI ने इस गिरफ्तारी को इमेज सर्च तकनीक के जरिए अंजाम दिया एक ऐसा कदम, जो तकनीकी नवाचार और परिश्रमी जांच का बेहतरीन उदाहरण बन गया है।

2006 में दर्ज हुआ था केस, 2002 से 2005 के बीच हुई थी धोखाधड़ी

यह मामला 1 अगस्त 2006 को बेंगलुरु स्थित भारतीय स्टेट बैंक (SBI) में दर्ज हुआ था। आरोप था कि मणि एम. शेखर ने अपने पति रामानुजम मुथुरामलिंगम शेखर उर्फ आर.एम. शेखर के साथ मिलकर मेसर्स इंडो मार्क्स प्राइवेट लिमिटेड और बीटीसी होम प्रोडक्ट्स के नाम पर बैंक के साथ आठ करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की। यह आपराधिक षड्यंत्र वर्ष 2002 से 2005 के बीच रचा गया था।

2007 में चार्जशीट, 2009 में भगोड़ा घोषित

जांच के बाद 10 दिसंबर 2007 को CBI ने आरोप पत्र दाखिल किया। लेकिन मणि एम. शेखर और उनके पति अदालत में पेश नहीं हुए। समन और वारंट के बावजूद उनकी अनुपस्थिति के चलते 27 फरवरी 2009 को न्यायालय ने दोनों को भगोड़ा अपराधी (Proclaimed Offender) घोषित कर दिया।

CBI के लिए चुनौती बना डिजिटल पर्दा, पहचान पूरी तरह बदल दी गई थी

CBI की कई वर्षों की कोशिशें असफल रहीं, क्योंकि दोनों आरोपियों ने अपनी पूरी पहचान बदल ली थी। वे गीता और कृष्ण कुमार गुप्ता के नाम से इंदौर में रह रहे थे। न केवल नाम बदला गया, बल्कि मोबाइल नंबर, ईमेल, पैन कार्ड और अन्य केवाईसी दस्तावेज भी पूरी तरह से नए बना लिए गए थे। यह सब उन्होंने चार्जशीट दाखिल होने से पहले ही कर लिया था, जिससे जांच एजेंसी के लिए उनकी पहचान और लोकेशन पता करना बेहद कठिन हो गया।

तकनीक बनी हथियार: इमेज सर्च से मिला सुराग

CBI ने हाल ही में इस केस में एक तकनीकी मोड़ लिया और इमेज सर्च टूल्स और डिजिटल फुटप्रिंट्स का सहारा लिया। इसी प्रक्रिया में एजेंसी को मणि शेखर के इंदौर में होने के स्पष्ट संकेत मिले। सतर्कता से की गई स्थानीय निगरानी और फिजिकल वेरिफिकेशन के बाद, टीम ने 12 जुलाई 2025 को मणि एम. शेखर को गिरफ्तार कर लिया।

पति की पहले ही हो चुकी है मृत्यु

तलाशी के दौरान यह भी सामने आया कि रामानुजम शेखर की मृत्यु वर्ष 2008 में ही हो चुकी है — नई पहचान के साथ। अब अकेली शेष आरोपी मणि शेखर को बेंगलुरु की एक विशेष अदालत में पेश किया गया, जहाँ से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।

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