दैनिक सांध्य बन्धु (एजेंसी) वॉशिंगटन डीसी/नई दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत पर 25% अतिरिक्त आयात शुल्क लगाने का आदेश जारी कर दिया है। पहले से लागू 25% टैरिफ के साथ अब अमेरिका को भारत से भेजे जाने वाले उत्पादों पर कुल 50% टैक्स लगेगा। यह निर्णय ट्रम्प द्वारा बुधवार को साइन किए गए एग्जीक्यूटिव ऑर्डर के तहत 27 अगस्त से लागू होगा। अमेरिका ने इस फैसले का कारण भारत द्वारा रूस से किए जा रहे तेल आयात को बताया है।
ट्रम्प के आदेश में स्पष्ट किया गया है कि भारत प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रूस से तेल खरीद कर उसे आर्थिक सहायता दे रहा है। अमेरिका ने मार्च 2022 से ही अपने देश में रूसी तेल पर प्रतिबंध लगा रखा है। लेकिन ट्रम्प प्रशासन का कहना है कि भारत इस तेल को खरीदकर रूस की वॉर मशीन को समर्थन दे रहा है, इसलिए यह टैरिफ जरूरी है। कुछ मामलों में छूट दी जाएगी, जैसे जो उत्पाद पहले ही समुद्र में लद चुके हैं या तय तारीख से पहले अमेरिका पहुंच चुके होंगे।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस कदम को अनुचित, अन्यायपूर्ण और गलत करार देते हुए कड़ी प्रतिक्रिया दी है। मंत्रालय ने कहा कि भारत बाजार की स्थिति के आधार पर तेल खरीदता है और यह 140 करोड़ भारतीयों की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है। विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि अमेरिका का यह कदम भेदभावपूर्ण है क्योंकि कई अन्य देश भी अपने हितों के अनुसार तेल खरीद रहे हैं। भारत ने अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए जरूरी कदम उठाने की बात कही है।
ट्रम्प ने मंगलवार को ही भारत को 24 घंटे में टैरिफ लगाने की चेतावनी दी थी। साथ ही भारत को “खराब बिजनेस पार्टनर” करार देते हुए आरोप लगाया कि भारत दुनिया में सबसे ज्यादा टैरिफ लगाता है। इसके अलावा ट्रम्प ने फार्मास्युटिकल उत्पादों पर 250% तक टैक्स लगाने की धमकी दी है। उन्होंने कहा कि शुरुआत में कम टैक्स लगाया जाएगा, लेकिन एक से डेढ़ साल में इसे 150% और फिर 250% तक बढ़ा दिया जाएगा। ट्रम्प का मानना है कि अमेरिका फार्मा प्रोडक्ट्स के लिए भारत और चीन पर बहुत अधिक निर्भर है, और यह निर्भरता अब खत्म करनी चाहिए।
भारत से अमेरिका को जेनेरिक दवाइयां, वैक्सीन और एक्टिव इंग्रेडिएंट्स का निर्यात साल 2025 में 7.5 अरब डॉलर (करीब 65 हजार करोड़ रुपए) से अधिक रहा है। अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के मुताबिक, अमेरिका में इस्तेमाल होने वाली करीब 40% जेनेरिक दवाएं भारत से आती हैं।
रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने से पहले भारत रूस से बहुत कम मात्रा में तेल खरीदता था — केवल 0.2% या 68 हजार बैरल प्रतिदिन। लेकिन युद्ध के बाद यह आंकड़ा तेजी से बढ़ा और 2025 में जनवरी से जुलाई तक भारत रोजाना औसतन 17.8 लाख बैरल रूसी तेल खरीद रहा है। पिछले दो वर्षों में भारत हर साल 130 अरब डॉलर (11.33 लाख करोड़ रुपए) से अधिक का तेल रूस से खरीद चुका है। भारत रूस से तेल खरीदने वाला चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया है।
टैरिफ का असर भारतीय निर्यात पर गहराई से देखा जा सकता है। अमेरिका को भारत से होने वाले प्रमुख निर्यात जैसे कि दवाइयां, कपड़े, ज्वेलरी, इलेक्ट्रॉनिक्स और इंजीनियरिंग उत्पाद अब 50% टैक्स के दायरे में आ गए हैं। इससे भारतीय उत्पाद अमेरिकी बाजार में महंगे हो जाएंगे, जिससे उनकी मांग में गिरावट की आशंका है। इससे भारत का अमेरिका के साथ व्यापार अधिशेष भी प्रभावित हो सकता है।
हालांकि, कुछ विशेष उत्पादों को अभी भी टैरिफ से छूट प्राप्त है। अप्रैल 2025 में जारी एक आदेश के तहत सेमी-कंडक्टर्स, स्मार्टफोन, कंप्यूटर, फार्मास्युटिकल्स, ऑटो पार्ट्स, तांबा और अन्य धातु-खनिजों को टैरिफ से बाहर रखा गया है। इसका मतलब है कि इन उत्पादों पर 25% या 50% अतिरिक्त टैरिफ नहीं लगेगा। लेकिन ट्रम्प प्रशासन भविष्य में इन नियमों में बदलाव कर सकता है।
भारत के लिए यह फैसला सिर्फ आर्थिक नहीं बल्कि रणनीतिक दृष्टि से भी चुनौतीपूर्ण है। जहां एक तरफ ऊर्जा सुरक्षा के लिए रूस से तेल खरीदना जरूरी है, वहीं दूसरी ओर दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका के साथ व्यापारिक तनाव बढ़ना भारत की आर्थिक योजनाओं पर असर डाल सकता है। अब नजर इस बात पर रहेगी कि भारत इस चुनौती का जवाब किस तरह देता है और अमेरिका के इस कदम से अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक समीकरण किस दिशा में बदलते हैं।