राहुल गांधी ने यह टिप्पणी सोमवार को दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में ‘संगठन सृजन अभियान’ के तहत झारखंड, ओडिशा, पंजाब और उत्तराखंड के जिला कांग्रेस अध्यक्षों के चयन को लेकर हुई पर्यवेक्षकों की बैठक में की।
दरअसल, 16 अगस्त को प्रदेश कांग्रेस ने 71 संगठनात्मक जिलों के अध्यक्षों की घोषणा की थी। इसके बाद भोपाल से लेकर दिल्ली तक विरोध-प्रदर्शन का दौर जारी है। कई जिलों में कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि बाहरी जिलों के नेताओं को जिलाध्यक्ष बना दिया गया है।
कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं के विरोध को देखते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि राहुल गांधी की चिंता वाजिब है। शिकायतों को सुधार के नजरिए से देखना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि पार्टी ने 6 महीने का प्रोविजन पीरियड रखा है और इस दौरान हर जिलाध्यक्ष के काम का आकलन होगा। यदि काम संतोषजनक नहीं हुआ तो बदलाव भी संभव है।
प्रदेश में भोपाल, इंदौर ग्रामीण, डिंडोरी, सतना, बुरहानपुर और देवास जैसे जिलों में जिला अध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर विरोध सामने आ चुका है। कहीं इस्तीफे दिए गए तो कहीं पुतला दहन तक की घोषणा हुई।
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