दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए ऑनलाइन गेमिंग कानून को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। रीवा के पुष्पेंद्र सिंह ने याचिका दायर कर कहा है कि यह कानून मौलिक अधिकारों का हनन करता है। चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने इस मामले में शुक्रवार को सुनवाई करते हुए इसे अगले सप्ताह के लिए सूचीबद्ध कर दिया है।
पुष्पेंद्र सिंह, जो रीवा की क्लबूबम 11 स्पोर्ट्स एंड एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ हैं, ने तर्क दिया है कि केंद्र सरकार ने 22 अगस्त को ऑनलाइन गेमिंग कानून पारित किया है, जबकि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट पहले ही फेंटेसी स्पोर्ट्स जैसे गेम्स को कौशल आधारित मानकर वैध ठहरा चुके हैं। नए कानून में स्किल-बेस्ड और चांस-बेस्ड गेम्स के बीच का फर्क खत्म कर पूरे उद्योग को अवैध बताया गया है।
गौरतलब है कि 22 अगस्त को ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल चुकी है और यह अब कानून बन गया है। लोकसभा और राज्यसभा से पारित इस बिल को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पेश किया था।
याचिका में कहा गया है कि यह कानून न केवल व्यापार करने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है, बल्कि इससे गेमिंग इंडस्ट्री को भारी नुकसान होगा और लाखों नौकरियां खतरे में पड़ जाएंगी। बैन की वजह से खिलाड़ी अवैध ऑफशोर प्लेटफॉर्म्स की ओर रुख कर सकते हैं, जहां कोई नियमन नहीं है।
कानून लागू होने के बाद ड्रीम11, गेम्स24x7, विंजो, गेम्सक्राफ्ट और माय11 सर्कल जैसे बड़े प्लेटफॉर्म्स ने अपने कैश-बेस्ड गेम्स बंद कर दिए हैं। ड्रीम11 ने 22 अगस्त को यह घोषणा की, जबकि गेम्सक्राफ्ट और पोकरबाजी ने भी अपने ऑपरेशंस रोक दिए।
नए कानून के तहत किसी भी रियल-मनी गेम को ऑफर करना, चलाना या प्रचार करना गैरकानूनी होगा। इसके उल्लंघन पर तीन साल तक की जेल और एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। वहीं विज्ञापन देने वालों को दो साल की जेल और 50 लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। इस कानून के तहत एक रेगुलेटरी अथॉरिटी भी बनाई जाएगी, जबकि पबजी और फ्री फायर जैसे ई-स्पोर्ट्स और बिना पैसे वाले गेम्स को बढ़ावा दिया जाएगा।