दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। एक ब्रेन डेड युवक की मौत के बाद भी उसका हृदय तीन जिंदगियों में धड़कता रहेगा। सिवनी निवासी 31 वर्षीय सत्येंद्र यादव के अंगदान से एक बार फिर इंसानियत की मिसाल कायम हुई है। गुरुवार को नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल से डुमना एयरपोर्ट तक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। इसके जरिए हार्ट और लिवर को अहमदाबाद व भोपाल भेजा गया, जबकि एक किडनी जबलपुर में ही ट्रांसप्लांट के लिए सुरक्षित रखी गई।
4 अगस्त की रात एक्सीडेंट में घायल हुए सत्येंद्र यादव को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान बुधवार रात उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया। मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने जब परिजनों से अंगदान की बात की तो उन्होंने सहमति जताते हुए समाज के लिए प्रेरणादायक कदम उठाया।
दो घंटे चला ऑपरेशन, दो शहरों में भेजे गए अंग
सत्येंद्र के अंग निकालने की प्रक्रिया गुरुवार सुबह शुरू हुई, जो दोपहर तक चली। चार डॉक्टरों की टीम ने दो घंटे में अंगों को सुरक्षित रूप से निकाला। इसके बाद ग्रीन कॉरिडोर बनाकर हार्ट शाम 4 बजे अहमदाबाद और लिवर 4:20 बजे भोपाल के लिए रवाना किया गया।
डुमना एयरपोर्ट तक बिना रुके पहुंची एम्बुलेंस
ग्रीन कॉरिडोर के लिए ट्रैफिक पुलिस और प्रशासन ने विशेष इंतजाम किए। एम्बुलेंस मेडिकल कॉलेज से रामपुर, सिविल लाइन होते हुए डुमना एयरपोर्ट पहुंची। पूरे मार्ग में यातायात को रोककर अंगों को निर्धारित समय में पहुंचाया गया। लिवर के लिए भोपाल से डॉक्टरों की टीम सुबह 10:30 बजे ही जबलपुर पहुंच चुकी थी।
परिजनों ने कहा – इससे बड़ा पुण्य कोई नहीं
सत्येंद्र के भाई विजय यादव ने बताया कि सत्येंद्र गैस कंपनी में डिलीवरी का काम करता था और जबलपुर में पत्नी के साथ किराए से रहता था। अप्रैल 2025 में ही उसकी शादी हुई थी। एक्सीडेंट के बाद उसकी हालत बेहद नाजुक थी। परिवार ने मिलकर फैसला किया कि अगर सत्येंद्र के अंगों से किसी की जान बचती है तो इससे बड़ा पुण्य कोई नहीं।
तीसरी बार बना ग्रीन कॉरिडोर
मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. नवनीत सक्सेना ने बताया कि यह इस साल का तीसरा ग्रीन कॉरिडोर है। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में हार्ट की जरूरत नहीं होने पर अहमदाबाद से संपर्क किया गया, वहीं लिवर की मांग भोपाल से आई थी। एक किडनी जबलपुर में ही ट्रांसप्लांट की जाएगी, जबकि दूसरी सुरक्षित रखी गई है।
भोपाल में भी बना ग्रीन कॉरिडोर
शाम 6 बजे लिवर भोपाल पहुंचा, जिसे एयरपोर्ट से सिद्धांत अस्पताल ले जाया गया। वहां लिवर ट्रांसप्लांट के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई थीं। एयरपोर्ट से अस्पताल तक भी पुलिस ने ग्रीन कॉरिडोर बनाकर अंग को समय पर पहुंचाया।