दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। आदिवासी जमीनों की धोखाधड़ी कर दोबारा बिक्री करने का मामला अब बड़े फर्जीवाड़े का रूप ले चुका है। न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी डी.पी. सूत्रकार ने इसे गंभीर अपराध मानते हुए बरगी थाना प्रभारी को आदेश दिया कि रमाकांत सतनामी, वीरन लाल बर्मन, कृष्ण कुमार बर्मन और उनके सहयोगियों के खिलाफ धोखाधड़ी और साजिश की धाराओं में FIR दर्ज की जाए। आदेश का पालन करते हुए बरगी पुलिस ने 26 सितंबर 2025 को FIR संख्या 0469/2025 दर्ज कर ली।
दोहरी बिक्री और फर्जी दस्तावेज़ों का खेल
आवेदक प्रखर पाठक के अनुसार गैंग ने पहले से बेची गई जमीनों को नए खरीदारों को दोबारा बेचकर करोड़ों की ठगी की। उदाहरण के तौर पर, खसरा नंबर 25/1 की 0.080 हेक्टेयर जमीन 2014 में अशोक तिवारी को बेची गई थी, लेकिन इसे 2018 में प्रखर पाठक को दोबारा बेच दिया गया। इसके अलावा मृतक मस्का बर्मन के नाम पर 2019 में विक्रय पत्र तैयार कर रकम वसूली गई। आरोप है कि रमाकांत सतनामी ने नकली गवाह खड़े कर फर्जी दस्तावेज तैयार कराए।
आदिवासी जमीन को सामान्य दिखाकर की ठगी
मामले में सबसे गंभीर बात यह है कि यह जमीनें आदिवासी वर्ग की थीं, जिन्हें सामान्य वर्ग के रूप में दिखाकर बेचा गया। खरीदारों को वास्तविक स्थिति नहीं बताई गई और विक्रेता असली मालिक नहीं थे। अदालत ने इसे संगठित आर्थिक अपराध और गंभीर साजिश माना।
पुलिस ने मामला अपने हाथ में लिया
बरगी पुलिस ने FIR दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है। जांच का जिम्मा निरीक्षक जितेंद्र पाटकर को सौंपा गया है, जो सभी फर्जी दस्तावेज़ों और विक्रय पत्रों की सत्यता की जांच करेंगे। अदालत ने पुलिस को एक सप्ताह के भीतर FIR की प्रति पेश करने का आदेश दिया और अगली सुनवाई आज 27 सितंबर 2025 को निर्धारित की गई थी। अब सबकी निगाहें इस बात पर हैं कि पुलिस की जांच में रमाकांत सतनामी और गैंग की संगठित ठगी की गहराई कितनी सामने आती है।