दैनिक सांध्य बन्धु भोपाल (एजेंसी)। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में मंगलवार को एक बड़ा खुलासा हुआ। जस्टिस विशाल मिश्रा ने बताया कि बीजेपी विधायक संजय पाठक ने उनसे सीधे फोन पर केस को लेकर बात करने की कोशिश की। मामला पाठक परिवार की खनन कंपनियों के खिलाफ अवैध खनन की शिकायत से जुड़ा था। इस पर जस्टिस मिश्रा ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया।
यह अपने आप में पहला मामला है जब किसी हाईकोर्ट जज ने न्यायिक प्रक्रिया में राजनीतिक हस्तक्षेप की कोशिश को खुले तौर पर दर्ज किया है।
मामला क्या है?
कटनी निवासी व्हिसल ब्लोअर आशुतोष मनु दीक्षित ने जून 2025 में हाईकोर्ट में याचिका दायर कर पाठक परिवार की कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि शिकायत के बावजूद ईओडब्ल्यू ने कार्रवाई नहीं की।
खनिज विभाग ने जांच के बाद पाठक की तीन कंपनियों – आनंद माइनिंग, निर्मला मिनरल्स और पेसिफिक एक्सपोर्ट – पर 443 करोड़ का जुर्माना लगाया।
विधानसभा में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी माना कि कंपनियों ने मंजूरी से ज्यादा खनन किया।
कंपनियों का कहना है कि वे 70 साल से कारोबार कर रहे हैं और उन पर कभी कोई टैक्स चोरी का आरोप नहीं लगा।
एक्सपर्ट की राय– “न्यायिक प्रणाली में हस्तक्षेप”
पूर्व एडिशनल एडवोकेट जनरल अजय गुप्ता ने कहा कि "किसी विधायक का जज को फोन करना न्यायिक प्रणाली में हस्तक्षेप है। यह उद्दंडता है और इसके लिए एफआईआर दर्ज होनी चाहिए।"
संजय पाठक पर जमीन घोटाले के भी आरोप
यह पहला विवाद नहीं है जिसमें विधायक पाठक फंसे हों। इससे पहले सपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मनोज यादव ने आरोप लगाया था कि पाठक ने सहारा ग्रुप की भोपाल, जबलपुर और कटनी की 310 एकड़ जमीन मात्र 90 करोड़ में खरीदी, जबकि उसकी कीमत करीब 1000 करोड़ रुपए थी।
आरोप है कि रजिस्ट्री के दौरान स्टाम्प ड्यूटी चोरी की गई और जमीन को एग्रीकल्चर लैंड दिखाकर खरीदा गया।
सहारा निवेशकों की रकम सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक SEBI-सहारा रिफंड खाते में जमा की जानी थी, लेकिन रकम शैल कंपनियों में घुमा दी गई।
व्हिसल ब्लोअर का दावा– “पाठक मास्टरमाइंड”
व्हिसल ब्लोअर आशुतोष दीक्षित का कहना है कि "310 एकड़ जमीन जो 1000 करोड़ में बेची जानी चाहिए थी, उसे मात्र 98 करोड़ में बेच दिया गया। यह साजिश विधायक संजय पाठक ने रची। उन्होंने सहारा निवेशकों की मेहनत की कमाई को मिट्टी के भाव खरीदा।"
यह अपने आप में पहला मामला है जब किसी हाईकोर्ट जज ने न्यायिक प्रक्रिया में राजनीतिक हस्तक्षेप की कोशिश को खुले तौर पर दर्ज किया है।
मामला क्या है?
कटनी निवासी व्हिसल ब्लोअर आशुतोष मनु दीक्षित ने जून 2025 में हाईकोर्ट में याचिका दायर कर पाठक परिवार की कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि शिकायत के बावजूद ईओडब्ल्यू ने कार्रवाई नहीं की।
खनिज विभाग ने जांच के बाद पाठक की तीन कंपनियों – आनंद माइनिंग, निर्मला मिनरल्स और पेसिफिक एक्सपोर्ट – पर 443 करोड़ का जुर्माना लगाया।
विधानसभा में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी माना कि कंपनियों ने मंजूरी से ज्यादा खनन किया।
कंपनियों का कहना है कि वे 70 साल से कारोबार कर रहे हैं और उन पर कभी कोई टैक्स चोरी का आरोप नहीं लगा।
एक्सपर्ट की राय– “न्यायिक प्रणाली में हस्तक्षेप”
पूर्व एडिशनल एडवोकेट जनरल अजय गुप्ता ने कहा कि "किसी विधायक का जज को फोन करना न्यायिक प्रणाली में हस्तक्षेप है। यह उद्दंडता है और इसके लिए एफआईआर दर्ज होनी चाहिए।"
संजय पाठक पर जमीन घोटाले के भी आरोप
यह पहला विवाद नहीं है जिसमें विधायक पाठक फंसे हों। इससे पहले सपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मनोज यादव ने आरोप लगाया था कि पाठक ने सहारा ग्रुप की भोपाल, जबलपुर और कटनी की 310 एकड़ जमीन मात्र 90 करोड़ में खरीदी, जबकि उसकी कीमत करीब 1000 करोड़ रुपए थी।
आरोप है कि रजिस्ट्री के दौरान स्टाम्प ड्यूटी चोरी की गई और जमीन को एग्रीकल्चर लैंड दिखाकर खरीदा गया।
सहारा निवेशकों की रकम सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक SEBI-सहारा रिफंड खाते में जमा की जानी थी, लेकिन रकम शैल कंपनियों में घुमा दी गई।
व्हिसल ब्लोअर का दावा– “पाठक मास्टरमाइंड”
व्हिसल ब्लोअर आशुतोष दीक्षित का कहना है कि "310 एकड़ जमीन जो 1000 करोड़ में बेची जानी चाहिए थी, उसे मात्र 98 करोड़ में बेच दिया गया। यह साजिश विधायक संजय पाठक ने रची। उन्होंने सहारा निवेशकों की मेहनत की कमाई को मिट्टी के भाव खरीदा।"
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