दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। छिंदवाड़ा में बीते एक महीने से मासूम बच्चों की लगातार मौतों ने स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन को हिला दिया है। शुरुआत में इसे मौसमी बुखार और सामान्य संक्रमण माना गया था, लेकिन अब ये मामले गंभीर रूप लेते हुए सामने आ रहे हैं। बच्चों की मौत का प्रमुख कारण किडनी फेल होना पाया गया है।
छिंदवाड़ा में पहुंची दिल्ली की विशेष जांच टीम ने प्रारंभिक जांच में पाया कि मौतों का संबंध बुखार, सर्दी-खांसी में दिए जाने वाले एक कफ सिरप से हो सकता है। इसके बाद डेक्सट्रोमेथॉर्फन हाइड्रोब्रोमाइड सिरप के संदिग्ध बैचों की जांच शुरू की गई और राज्य भर में इसकी बिक्री पर रोक लगा दी गई है।
इसी सिलसिले में औषधि विभाग की टीम ने जबलपुर के ओमती थाना क्षेत्र स्थित कटारिया फार्मासिटिकल्स पर छापा मारा। स्वास्थ्य विभाग की 5 सदस्यीय टीम ने यहां से कफ सिरप की जांच की और स्टॉक खंगाले।
कटारिया फार्मासिटिकल्स के संचालक ने बताया कि उन्होंने चेन्नई की एक कंपनी से 660 कोल्ड्रिफ कफ सिरप की शीशियां मंगाई थीं। इनमें से 594 शीशियां छिंदवाड़ा के तीन स्टॉकिस्ट को भेजी गईं, जबकि 66 शीशियां स्टॉक में बची थीं।
इनमें से 16 शीशियों के सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं और बाकी बची शीशियों को सील कर दिया गया है। संचालक ने यह भी स्पष्ट किया कि जबलपुर में इस कफ सिरप की कोई सप्लाई नहीं की गई थी।
फिलहाल स्वास्थ्य विभाग जांच रिपोर्ट का इंतजार कर रहा है। रिपोर्ट आने के बाद ही यह साफ होगा कि मासूम बच्चों की मौत के पीछे वाकई इस कफ सिरप का हाथ है या नहीं। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि फिलहाल संदिग्ध सिरप का इस्तेमाल न करें।
