दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। छिंदवाड़ा और बैतूल में कोल्ड्रिफ कफ सिरप पीने से 25 मासूम बच्चों की मौत के बाद प्रदेशभर में दवा कंपनियों और डिस्ट्रीब्यूटर्स पर कार्रवाई तेज हो गई है। जबलपुर की कटारिया फार्मास्यूटिकल्स का लाइसेंस रविवार को खाद्य एवं औषधि विभाग ने निरस्त कर दिया। जांच में गंभीर अनियमितताएं सामने आईं, जिसके चलते यह कार्रवाई की गई।
जांच में सामने आईं बड़ी खामियां
कटारिया फार्मास्यूटिकल्स के गोदाम के लिए कोई वैध अनुमति नहीं थी। जहां दवाओं का स्टॉक रखा गया, वहां रेफ्रिजरेटर नहीं था, जबकि यह नियमानुसार अनिवार्य है। सेल-परचेज का पूरा रिकॉर्ड भी कंपनी प्रस्तुत नहीं कर सकी।
जांच में पाया गया कि जबलपुर से छिंदवाड़ा भेजे गए कोल्ड्रिफ सिरप में डाइएथिलीन ग्लायकॉल (DEG) मौजूद था, जो अत्यंत विषैला रसायन है।
लाइसेंस निरस्तीकरण से पहले दी गई थी नोटिस की चेतावनी
खाद्य एवं औषधि विभाग ने दो दिन पहले कंपनी को नोटिस जारी कर 24 घंटे में जवाब मांगा था। लेकिन तय समय में जवाब नहीं मिलने पर लाइसेंस रद्द कर दिया गया। फर्म का ऑफिस और गोदाम अब सील कर दिया गया है।
फर्म के संचालक ने दावा किया कि वे सिर्फ दवा की सप्लाई करते हैं, उसका निर्माण नहीं करते। हालांकि जांच में गोदाम संचालन और स्टॉक से संबंधित कई दस्तावेजों की कमी पाई गई।
तमिलनाडु की कंपनी पर भी कार्रवाई
कोल्ड्रिफ कफ सिरप तमिलनाडु की श्रीसन फार्मा द्वारा निर्मित था। जबलपुर की कटारिया फार्मास्यूटिकल्स के माध्यम से यह सिरप छिंदवाड़ा भेजा गया था। अब तक इस सिरप से 25 बच्चों की मौत की पुष्टि हो चुकी है।
जबलपुर रेंज के आईजी प्रमोद वर्मा ने बताया कि पुलिस जांच जारी है और दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। चेन्नई से श्रीसन फार्मा के मालिक को गिरफ्तार किया जा चुका है, अब पुलिस सप्लाई चेन से जुड़े अन्य लोगों तक पहुंच रही है।
यह मामला प्रदेश में फार्मा उद्योग की निगरानी व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है। प्रशासन अब अन्य जिलों में भी दवा वितरण और भंडारण व्यवस्था की जांच में जुट गया है।