Jabalpur News: महापौर, कलेक्टर, निगमायुक्त के प्रयास को धता बताया, भरे त्यौहार MIC मेम्बर स्वास्थ्य प्रभारी के वार्ड में बजबजाती रही गन्दगी

दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। जबलपुर में सफाई व्यवस्था को लेकर पिछले समय से हाहाकार मचा हुआ है। इस बार दीपावली पर महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू , कलेक्टर राघवेंद्र सिंह एवं नव पदस्थ निगमायुक्त रामप्रकाश अहिरवार ने शहर को स्वच्छ रखने पूरी ताकत झोंक दी और अमूमन शहर के मुख्य मार्ग एवं प्रमुख स्थानों की गंदगी साफ भी हो गई। इसके लिए सफाई दूतों को उपकृत भी किया गया। परंतु महापौर एवं कमिश्नर के इन प्रयासों को पलीता लगाने का कार्य करते हुये, "दिया तले अंधेरा" वाली कहावत चरितार्थ तब हुई, जब एमआईसी मेंबर जो कि स्वास्थ्य विभाग की प्रभारी भी है रजनी कैलाश साहू के स्वयं का वार्ड भरे त्यौहार गंदगी से बजबजाता रहा।

स्थानीय निवासियों की माने तो वे शिकायत करते रहे परंतु सफाई नहीं हुई। जबकि दीपावली के दूसरे दिन सुबह जैन  धर्मावलंबियों का विशेष पूजन मंदिरों में आयोजित होता है। सुबह से ही लोग मंदिरों को जाना शुरू कर देते हैं एवं इस समय मुनीवरों की आहारचर्या भी प्रतिदिन हो रही है, लिहाजा इस  गंदगी से होते हुए सभी को गुजरना पड़ा। स्वास्थ्य विभाग जैसे महत्वपूर्ण विभाग होने के बावजूद स्वयं के वार्ड में सफाई ठप्प होना, न केवल अकर्मण्यता की निशानी है, बल्कि जनता के साथ धोखा भी है। शहर में यदि देखा जाए तो कई जगहों पर ना झाड़ू लगी ना ही किसी प्रकार की सफाई हुई। महापौर और कमिश्नर का ऐसी अकर्मण्यता के बीच शहर स्वच्छ रखने का संकल्प और प्रयास काबिले तारीफ है। 

इस सम्बंध में नागरिकों का कहना है कि हम अपने वोट की भोगवानी भोग रहे हैं। वहीं कुछ भाजपा कार्यकर्ताओं के अनुसार ऐसी कार्यशैली से न केवल विधायक की छवि खराब हो रही बल्कि वरिष्ठों की मेहनत पर भी पानी फिर रहा है। 

नए आए कमिश्नर साहब शहर को इंदौर बनाने को लेकर भरपूर प्रयासरत हैं। परंतु साहब को यह नहीं पता कि इंदौर और जबलपुर के जन प्रतिनिधियों में जमीन आसमान का अंतर है। वहां अपने शहर के प्रति समर्पण है, जिसके लिए वह किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। पर साहब यह जबलपुर है, यहां कुछ एक जनप्रतिनिधि जो अपवाद स्वरूप हैं, को छोड़ दें तो बाकी जनप्रतिनिधि अपनी कस्बाई मानसिकता से न ऊपर उठ पा रहे और न ही उबर पा रहे। फिर चाहे वो सफाई व्यवस्था हो यातायात हो या विकास कार्य के लिए किए गए प्रयास हों इस सब का पूरा खामियाजा संस्कारधानी के निवासियों को भुगतना पड़ रहा है।

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