दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। हैदराबाद से जबलपुर के पनागर स्थित रायपुरा गांव लाए गए घोड़ों की मौत के मामले ने अब गंभीर रूप ले लिया है। इस घटना में अब तक 57 में से 19 घोड़ों की मौत हो चुकी है। मामला मध्यप्रदेश हाईकोर्ट पहुंचा, जहां राज्य सरकार ने अदालत में अपनी विस्तृत रिपोर्ट पेश की और बताया कि जिम्मेदार लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कर ली गई है।
सरकार ने दी जानकारी, मांगा गया समय
13 अक्टूबर को हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि इस मामले में दिल्ली की वरिष्ठ अधिवक्ता रितिका गोयल सरकार की पैरवी करेंगी। इस कारण सरकार ने अतिरिक्त समय की मांग की, जिसे मुख्य न्यायाधीश की डिवीजन बेंच ने स्वीकार कर लिया। अब इस मामले की अगली सुनवाई 11 नवंबर को होगी।
कोर्ट ने मांगी थी विस्तृत रिपोर्ट
कोर्ट ने पहले ही राज्य सरकार और जिला प्रशासन से घोड़ों की मौत से जुड़ी विस्तृत जानकारी और दस्तावेज मांगे थे। इसके जवाब में जबलपुर कलेक्टर और घोड़ों के केयरटेकर की ओर से शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया, जिसमें घोड़ों की मौत के कारण, उपचार रिपोर्ट, भोजन व्यवस्था और देखरेख की जानकारी शामिल थी।
याचिका पशु प्रेमी सिमरन ईसर ने दायर की थी
यह याचिका जबलपुर की पशु प्रेमी सिमरन ईसर की ओर से दायर की गई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि हैदराबाद निवासी सुरेश पाल गुड्डू, जो गुड्डू हॉर्स पावर लीग चलाते थे, घोड़ा रेस और ऑनलाइन सट्टेबाजी में शामिल थे। फिलिपींस सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बाद उन्होंने 150 से अधिक घोड़ों की देखभाल बंद कर दी।
चार महीने तक कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला और भोजन न मिलने से करीब 90 घोड़ों की मौत हो गई। आरोप है कि सबूत छिपाने के लिए मृत और बीमार घोड़ों को नियमों का उल्लंघन कर हैदराबाद से जबलपुर लाया गया, जहां पनागर के रायपुरा गांव में रखा गया।
देखभाल में लापरवाही से मौतें जारी
सूत्रों के मुताबिक, घोड़ों को सड़क मार्ग से रायपुर निवासी सचिन तिवारी लेकर आए थे। जबलपुर पहुंचने के बाद भी उनकी उचित देखभाल नहीं की गई, न ही पर्याप्त भोजन या समय पर उपचार मिला। नतीजतन एक के बाद एक घोड़े मरते चले गए।
राज्य सरकार की रिपोर्ट में 57 में से 19 घोड़ों की मौत की पुष्टि की गई है, जबकि याचिकाकर्ता का कहना है कि मौत का आंकड़ा और भी बढ़ सकता है। अब अदालत इस मामले में अगली सुनवाई 11 नवंबर को करेगी।
