दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। छतरपुर जिले में वर्ष 2021 में हुए चर्चित डॉ. नीरज पाठक हत्याकांड में दोषी पाई गईं प्रोफेसर डॉ. ममता पाठक को जबलपुर हाईकोर्ट से कोई राहत नहीं मिली। अदालत ने शुक्रवार को उनकी ओपन जेल में रखे जाने की याचिका खारिज कर दी। प्रोफेसर वर्तमान में जबलपुर केंद्रीय जेल में उम्रकैद की सजा काट रही हैं। उन्होंने अदालत से अपील की थी कि उन्हें सामान्य बैरक में न रखकर ओपन जेल में भेजा जाए, क्योंकि उनका बेटा मानसिक और शारीरिक रूप से अस्वस्थ है और उनकी देखभाल के लिए किसी और का सहारा नहीं है।
कोर्ट ने कहा – जेल मैनुअल के अनुसार नहीं हैं पात्र
जस्टिस विशाल मिश्रा की एकलपीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि जेल मैनुअल के नियमों के अनुसार डॉ. ममता पाठक ओपन जेल में रखने की पात्र नहीं हैं। साथ ही अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि उनके पास पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका लंबित है, इसलिए वह वहां इस संबंध में उचित आवेदन दायर कर सकती हैं।
सरकारी अधिवक्ता सुमित रघुवंशी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ने पहले ही 14 जुलाई 2025 को जेल मुख्यालय में आवेदन दिया था, जिसे “खुले कॉलोनी नियम 2009” के नियम 5 के तहत अस्वीकार कर दिया गया था। इस पर अदालत ने जेल प्रशासन के निर्णय को बरकरार रखते हुए याचिका खारिज कर दी।
हत्या का मामला: नशीली दवा देकर करंट से मारा था पति को
गौरतलब है कि 20 अप्रैल 2021 को छतरपुर जिले में मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. नीरज पाठक की हत्या कर दी गई थी। जांच में पता चला कि उनकी पत्नी, गवर्नमेंट कॉलेज की प्रोफेसर ममता पाठक ने पहले उन्हें नशीली दवा देकर बेहोश किया, फिर करंट लगाकर हत्या कर दी।
छतरपुर जिला सत्र न्यायालय ने 29 जून 2022 को ममता पाठक को हत्या का दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इस फैसले को उन्होंने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस देवनारायण मिश्रा की डिवीजन बेंच ने 29 जुलाई 2025 को उनकी सजा को बरकरार रखा।
पारिवारिक विवाद बना हत्या का कारण
जानकारी के अनुसार, दंपती के बीच 20 वर्षों से वैवाहिक विवाद चल रहा था। ममता पाठक को शक था कि उनके पति के किसी अन्य महिला से संबंध हैं। इस कारण दोनों के बीच आए दिन झगड़े होते थे। ममता ने कई बार अपने पति के खिलाफ थाने, एसपी, आईजी और डीजीपी कार्यालय तक शिकायतें कीं, लेकिन सभी जांचों में उनके आरोप बेबुनियाद पाए गए।
वहीं, डॉ. नीरज पाठक ने भी विवादों से परेशान होकर दो वर्ष पूर्व स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) ले लिया था और घर से ही मरीजों का इलाज करने लगे थे।
हत्या के बाद दिया था झांसा, फिर खुली पोल
1 मई 2021 को ममता पाठक ने थाने में सूचना दी कि उनके पति कमरे में मृत पाए गए हैं। उन्होंने बताया कि वह और उनका बेटा नीतीश पिछले कुछ दिनों से बीमार थे और इलाज के लिए झांसी गए थे। लेकिन पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में स्पष्ट हुआ कि मौत करंट लगने से हुई थी, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया।
कोर्ट में दिया था वैज्ञानिक जवाब
सुनवाई के दौरान जब अदालत ने ममता पाठक से पूछा कि उन पर पति को करंट लगाकर मारने का आरोप है, तो उन्होंने अपने केमिस्ट्री के ज्ञान का हवाला देते हुए कहा था कि “पोस्टमॉर्टम में थर्मल बर्न और इलेक्ट्रिक बर्न में फर्क करना मुश्किल होता है। इसे केवल रासायनिक विश्लेषण से ही साबित किया जा सकता है।”
उनके इस जवाब से कोर्ट में क्षणिक सन्नाटा छा गया, लेकिन रासायनिक जांच रिपोर्ट और घटनास्थल के साक्ष्यों ने साफ कर दिया कि डॉ. नीरज की मौत इलेक्ट्रिक करंट से ही हुई थी।
हाईकोर्ट ने कहा कि चूंकि डॉ. ममता पाठक की एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में पहले से लंबित है, इसलिए उन्हें वहीं जाकर राहत की गुहार लगानी चाहिए। अदालत ने स्पष्ट किया कि ओपन जेल में रखने का निर्णय जेल मैनुअल और पात्रता मानदंडों के अनुसार ही लिया जा सकता है।
