दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। मध्य प्रदेश शासन के संविदा सेवा नियमों के बावजूद जबलपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने के. एल. कावरे (पूर्व बन विभाग कर्मचारी) को 68 वर्ष की आयु में संविदा पद पर नियुक्त रखा है। वर्तमान वेतन 80000 रुपए है, संविदा नियम के अनुसार संविदा सेवा की अधिकतम आयु 65 वर्ष होती है। इस कार्रवाई को लेकर अधिवक्ता अंकित पटेल ने जबलपुर कलेक्टर से शिकायत की है।
अधिवक्ता अंकित पटेल ने कहा है कि के. एल. कावरे की संविदा सेवा नियमों की अवहेलना करते हुए प्रशासनिक विभाग द्वारा 65 वर्ष की आयु पार होने के बाद इनकी सेवाएं जारी रखी गई। यह कार्य प्रशासनिक भ्रष्टाचार, पद के दुरुपयोग और शासनादेशों की अवमानना का उदाहरण है। शिकायत में तत्काल संविदा सेवा समाप्त करने और संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही सुनिश्चित करने की मांग की गई है। प्रशानिक विभाग के रवि राव प्रशानिक अधिकारी द्वारा किए जा रहे सभी नियम विरुद्ध कार्य ओर भ्रष्टाचार जिसमें कोई लगाम लगाने वाला अधिकारी को सुध नहीं।
मध्य प्रदेश शासन का “संविदा सेवा नियम, 2017 (संशोधित 2023)” स्पष्ट करता है कि किसी भी संविदा अधिकारी/कर्मचारी की अधिकतम सेवा आयु 65 वर्ष होगी। अपवाद केवल अत्यंत सीमित परिस्थितियों में संभव है, जैसे परियोजना का अल्पकालिक शेष कार्य या विशेषज्ञ ज्ञान की आवश्यकता। स्मार्ट सिटी लिमिटेड जैसी सरकारी/सहायक कंपनियों पर ये नियम पूरी तरह लागू होते हैं।
अपवाद की सीमाएँ
अपवाद केवल 1–3 माह के अल्पकालीन विस्तार के लिए दिया जा सकता है। कोई भी लंबी अवधि का संविदा नवीनीकरण नियम विरुद्ध है। यदि नियम का उल्लंघन किया गया तो संविदा नवीनीकरण शून्य (void) माना जा सकता है।
संभावित कानूनी और प्रशासनिक परिणाम
संविदा सेवा का नवीनीकरण अवैध माना जा सकता है। शिकायत कलेक्टर/आयुक्त/सामान्य प्रशासन विभाग को की जा सकती है। यदि वेतन सार्वजनिक निधि से दिया जा रहा है, तो यह लोक निधि के दुरुपयोग के रूप में देखा जा सकता है।
