दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। मध्य प्रदेश में ओबीसी महासभा ने सोमवार को ‘आरक्षण जनआंदोलन’ की शुरुआत करते हुए राज्य सरकार को खुली चुनौती दे डाली। जिला कलेक्टर को राष्ट्रपति के नाम सौंपे ज्ञापन में महासभा ने दो प्रमुख माँगें रखीं— पहली, मुख्यमंत्री मोहन यादव पर विवादित टिप्पणी करने वाले तथाकथित संत आनंद स्वरूपानंद पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) लगाकर तत्काल गिरफ्तारी की जाए। दूसरी, प्रदेश में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण पर लगी रोक को अविलंब समाप्त किया जाए।
ओबीसी महासभा के जिलाध्यक्ष छोटे पटेल ने चेतावनी दी कि आरक्षण पर लगी रोक से हजारों भर्तियाँ अटकी हुई हैं, जिससे लाखों ओबीसी युवाओं का भविष्य अधर में लटक गया है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने जल्द कार्रवाई नहीं की तो महासभा पूरे प्रदेश में ‘आरक्षण जनआंदोलन’ को व्यापक स्वरूप देगी।
महासभा की राष्ट्रीय कोर कमेटी के सदस्य राकेश लोधी ने कहा कि 2019 में तत्कालीन कमलनाथ सरकार द्वारा आरक्षण 14% से बढ़ाकर 27% किया गया था, लेकिन हाईकोर्ट ने 50% सीमा का हवाला देते हुए उस पर रोक लगा दी। अब सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की नियमित सुनवाई 8 अक्टूबर से शुरू होने वाली है, जिस पर पूरे ओबीसी समाज की निगाहें टिकी हैं।
महासभा ने मुख्यमंत्री मोहन यादव पर की गई तथाकथित संत आनंद स्वरूपानंद की टिप्पणी को ओबीसी समाज का अपमान बताया और आरोप लगाया कि उनके बयान ‘जातीय विद्वेष’ फैलाने वाले अपराध हैं, इसलिए उन पर NSA लगाकर तुरंत गिरफ्तारी होनी चाहिए।
इसके साथ ही महासभा ने केंद्र सरकार से यह भी माँग की है कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग की तरह ओबीसी समाज को भी कानूनी सुरक्षा प्रदान की जाए और इसके लिए ‘पिछड़ा वर्ग अत्याचार निरोधक अधिनियम’ बनाया जाए। जातिगत जनगणना की पुरानी माँग को भी महासभा ने दोहराया है।
